नई दिल्ली, 15 मई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने हवाई उड़ानों के किराये की सीमा तय करने की मांग खारिज कर दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एयरलाइन इंडस्ट्री काफी प्रतियोगी है और एयरलाइंस कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं, ऐसे में इस मामले में कोर्ट को कोई भी आदेश देना ठीक नहीं होगा।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बाजार के नियामक हवाई टिकटों की कीमत तय करते हैं। एयरलाइन इंडस्ट्री प्रतियोगिता के बीच काफी अच्छा कर रही है। एयरलाइन कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं। आज ऑटो रिक्शा का किराया हवाई किराये से ज्यादा है। हालांकि एयरलाइन इंडस्ट्री में निवेश भी काफी आ रहा है। हाई कोर्ट ने कहा कि कुछ चुनिंदा वाक्यों के आधार पर याचिका में मांगी गई मांगे मानी जा सकती हैं। ये सेक्टर काफी सुनियोजित है और अगर कोई सेक्टर अच्छा कर रहा है तो उसमें बहुत बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।
दरअसल हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थीं। एक याचिका वकील अमित साहनी ने दायर की थी और दूसरी उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता बिजॉन मिश्रा ने दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि हवाई किराया की सीमा तय करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाना चाहिए ताकि एयरलाइन कंपनियां यात्रियों से मनमाना किराया नहीं वसूल सकें।
सुनवाई के दौरान नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हवाई किराया रूट और हवाई जहाजों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। कई बार तो काफी कम यात्री होने के बावजूद एयरक्राफ्ट उड़ान भरते हैं।