बनारस भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण शहर है। बनारस कला और संस्कृति के साथ-साथ अपने सदियों पुराने अस्तित्व के लिए भी जाना जाता है।
भारत में ऐसे कई शहर हैं जिनकी विरासत हजारों साल पुरानी है। इन्हीं शहरों में से एक है काशी यानी बनारस। बनारस और आज का वाराणसी न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के सबसे पुराने शहरों में से एक है।
बनारस को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां शरीर छोड़ने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। बनारस की गिनती दुनिया के सबसे पुराने शहरों में होती है।
ऐसा माना जाता है कि बनारस का इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है, यानी यह शहर लगभग 11वीं शताब्दी ईसा पूर्व का है, हालांकि कुछ विद्वानों का यह भी दावा है कि गंगा के किनारे बसा यह शहर 4000-5000 साल पुराना है।
वाराणसी को भारत का आध्यात्मिक शहर कहा जाता है। इसके अलावा यह शहर पूरी दुनिया में बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है और बहुत पवित्र स्थान माना जाता है। यहां मौजूद गंगा और भगवान शिव के कारण इस शहर का अपना आध्यात्मिक महत्व है।
वाराणसी शहर का नाम दो स्थानीय नदियों वरुणा नदी और असी नदी से लिया गया है। वरुणा और असि ये दो नदियाँ उत्तर और दक्षिण से आकर गंगा नदी में मिल जाती हैं। इसके अलावा इस शहर के नाम के बारे में यह भी कहा जाता है कि प्राचीन काल में वरुणा नदी को वाराणसी कहा जाता होगा, जिसके कारण इस शहर को वाराणसी कहा जाता था। इसके अलावा इस शहर को बनारस, काशी, भोलेनाथ की नगरी आदि नामों से भी जाना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, वाराणसी शहर की उत्पत्ति या स्थापना लगभग 5000 साल पहले भगवान शिव ने की थी। इसके अलावा यहां भगवान शिव स्वयं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं।
यही कारण है कि आज भी बनारस हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। इस शहर का उल्लेख स्कंद पुराण, रामायण, महाभारत, सबसे प्राचीन वेद, ऋग्वेद सहित कई हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है।