औरैया, 14 अप्रैल (हि.स.)। भगवान को पाने के लिये द्रव्यादि की जरूरत नहीं होती है। वह तो सिर्फ निष्कपट भाव से मन में समा लेने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाहा वर प्रदान कर देते हैं। इसीलिए श्रीमद्भागवत कथा सिर्फ श्रवण करने की नहीं अपितु मनन, चिंतन कर अपने जीवन में उतारने की कथा है।
अनंतराम गांव स्थित शिव मन्दिर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य प्रिया दासी ने उक्त प्रवचन भगवत कथा में दिए। मंगलवार को भव्य कलश यात्रा निकाली गई। परीक्षित रामप्रसाद यादव, वेदों को शिरोधार्य किए थे। पीत वस्त्र धारण किए पीले कलशों को सिर पर रखकर चल रही महिला श्रद्धालु यात्रा की शोभा बढ़ा रही थी। वहीं शंख घड़ियाल की प्रतिध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो गया।
कलश यात्रा पूरे गांव का भ्रमण कर शिव मंदिर कथा पांडाल पर आकर विराम हुई। उसके बाद वृंदावन से पधारी आचार्य प्रिया दासी ने कथा का रसपान कराना शुरू किया। प्रथम दिन उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व के बारे में प्रवचन दिए। उन्होंने बताया कि संसार के भौतिक संसाधनों में खोए जीव को आज अपने परलोक की चिंता नहीं है। कोई गलत तरीके से अर्थ कमाने की होड़ में जुटा है, तो कोई अपराध कर अपना नाम बढ़ा रहा है। इसीलिए हरि कथा का सुनना, मनन करना और उसका अनुसरण करना जरूरी है। श्रीमद्भागवत कथा, हमें बुराइयों, गलत मार्ग पर जाने और अपराध करने से रोकते हुए संस्कारित कर सन्मार्ग पर ले जाने का सुगम माध्यम है। जो प्रभु की शरण में होकर कार्य करता है। वह प्रत्येक कार्य में सफल होता है। प्रभु हमेशा उसकी रक्षा करते हैं।
परीक्षित रामप्रसाद यादव ने बताया कि आचार्य प्रिया दासी के मुख से श्रीमद्भागवत कथा नित्य दोपहर 11 बजे से आरम्भ होगी, वहीं वृंदावन से आए आचार्य अंकित तिवारी यज्ञ में आहुतियां दिलवाकर यज्ञ सम्पन्न करवाएंगे।