पंजाब में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में औसतन पांच हजार लोगों की जान चली जाती है और बड़ी संख्या में लोग घायल होते हैं। इनमें दिव्यांगों की संख्या भी काफी अधिक है. राष्ट्रीय स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े परेशान करने वाले हैं. सड़कों पर ये घटनाएं कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही हैं. इन हादसों में कई मामले हिट एंड रन के होते हैं.
ऐसे ही मामलों की सूची में हाल ही में लुधियाना में हुई दुखद घटना भी शामिल थी जिसमें जिम से लौटते समय एक युवती को अपनी जान गंवानी पड़ी. यह पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गई, जिसमें साफ दिख रहा है कि महिला सड़क के किनारे जा रही थी और पीछे से आ रही कार ने उसे टक्कर मार दी और पिछला टायर उसके ऊपर चढ़ गया.
कार के डिवाइडर से टकराने के बाद आरोपी ने कार से बाहर निकलकर महिला की नब्ज देखी और उसे मृत समझकर कार वहीं छोड़ दी। बेशक पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन एक हंसता-खेलता परिवार पीछे छूट गया.
हिट एंड रन मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहले ही सख्त टिप्पणी कर चुका है. राष्ट्रीय स्तर पर हिट एंड रन के चिंताजनक आंकड़ों को देखते हुए भारत सरकार ने एक सख्त कानून की आवश्यकता जताई और भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) में कई धाराएं जोड़ी गईं। इसमें से धारा 106 (2) पर विवाद था, जिसका ट्रांसपोर्टरों ने कड़ा विरोध किया था, इसलिए सरकार ने इसे लागू करने से पहले विचार-विमर्श करने की बात कही थी.
इसके चलते स्थिति जस की तस बनी हुई है। देखा जाए तो शहरी नियोजन की भट्टी बैठ जाने से सड़कों पर चलना पहले ही मुश्किल हो गया है। चुनिंदा शहरों और कुछ चुनिंदा सड़कों को छोड़कर बाकी सभी शहरों में न तो उचित फुटपाथ हैं और न ही पैदल चलने वालों के लिए सड़कों पर चलने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है।
अगर फुटपाथ हैं भी तो उन पर अतिक्रमण है। ऐसे में अदालतें बार-बार निर्देश देती हैं, लेकिन कोई नहीं सुनता. पंजाब सरकार ने लोगों की जान-माल की सुरक्षा के लिए सड़क सुरक्षा बल का गठन किया है। सड़क यातायात को सुरक्षित और सुचारू बनाने के लिए शहरों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।
निःसंदेह पंजाब सरकार की ये पहल अच्छी हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या इससे सब कुछ ठीक हो जाएगा? जब तक बुनियादी ढांचे को ठीक करने की पहल नहीं की जाएगी और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक लक्ष्य हासिल नहीं होंगे। इसलिए सरकार को नीतिगत और व्यवहारिक रूप से इस पहलू पर ध्यान देना चाहिए और सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली जान-माल की हानि को रोकना चाहिए।