लखनऊ, 11 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के तराई में स्थित और भारत नेपाल की सीमा से लगा हुआ जनपद बहराइच हिन्दू और मुस्लिम वीरों की धरती कहलाता है। यहां के महाराजा सुहेलदेव को मुस्लिम धर्म प्रचारक सैय्यद सालार मसूद गाज़ी को हराने और मारने के लिए लोकप्रिता मिली। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इस वन क्षेत्र को ऋषियों और साधुओं के लिए तैयार किया था। इसलिए इस स्थान को ‘ब्रह्माच’ के रूप में भी जानते हैं। अनुसूचित जाति के लिए उप्र की 17 रिजर्व सीटों में एक सीट बहराइच भी शामिल है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 56 बहराइच में चौथे चरण के तहत 13 मई को मतदान होगा।
बहराइच लोकसभा सीट का इतिहास
बहराइच संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यहां पर किसी दल का दबदबा नहीं दिखता है। यह धरती प्रसिद्ध राजनेता रफी अहमद किदवई के नाम से जानी जाती है। राजनीतिक दृष्टि से बहराइच को अगर देखा जाए तो 1952 से लेकर अब तक बहराइच की धरती से देश की कई बड़ी हस्तियों ने बहराइच लोकसभा से चुनाव लड़ा है। इस सीट की स्थिति यह है कि बहराइच संसदीय सीट पर 1998 के चुनाव से कभी किसी एक दल का कब्ज़ा नहीं रहा। हालांकि बहराइच सीट पर 1989 से 1996 तक भाजपा का ही कब्ज़ा रहा है। लेकिन उसके बाद भाजपा, बसपा, सपा और कांग्रेस में आंख मिचौली चल रही है। 2014 में भाजपा की टिकट पर सावित्रीबाई फुले और 2019 में भाजपा के अक्षयबर लाल यहां से जीतकर दिल्ली पहुंचे। अब तक के हुए 17 बार हुए लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक समय तक कांग्रेस का ही बहराइच सीट पर कब्ज़ा रहा, यहां से 6 बार कांग्रेस ने प्रतिनिधित्व किया। जबकि पांच बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पाले में रही। इस सीट से 1-1 बार समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी जीत दर्ज करा चुके हैं। 2008 के परिसमीन में बहराइच लोकसभा अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दी गई।
पिछले दो चुनावों का हाल
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के अक्षयबर लाल ने सपा के शब्बीर बाल्मीकि को 1 लाख 28 हजार 752 वोटों से हराया था। अक्षबार लाल को 525,982 (53.12%) वोट मिले थे। सपा प्रत्याशी को 397,230 (40.12%) वोट हासिल हुए थे। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सावित्रीबाई फुले को 24,454 (3.48%) वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई।
2014 के चुनाव की बात करें, तो इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सावित्रीबाई फुले ने 95 हजार 645 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। सावित्रीबाई फुले ने सपा के शब्बीर अहमद को परास्त किया था। बसपा के प्रत्याशी डॉ. विजय कुमार और कांग्रेस के कमल किशोर की इस चुनाव में जमानत जब्त हुई थी।
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार
भाजपा ने मौजूदा सांसद अक्षबार लाल की जगह इस बार आनन्द कुमार को मैदान में उतारा है। सपा ने पूर्व विधायक रमेश चन्द्र और बसपा ने डा0 बृजेश कुमार को प्रत्याशी बनाया है।
बहराइच सीट का जातीय समीकरण
बहराइच लोकसभा में 18.26 लाख मतदाता हैं। इस सीट पर राजनीतिक दलों द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक मुस्लिम वोटर 5.22 लाख, ब्राह्मण लगभग 2.95 लाख, दलित 4.16 लाख, क्षत्रिया करीब 1.12 लाख, कुर्मी करीब 2.21 लाख, कायस्थ लगभग 2.87 लाख, यादव लगभग 2.15 लाख हैं। अन्य पिछड़ा मतदाता लगभग 3 लाख 93 हज़ार इसमें कहांर, नाई, भुरजी, लोहार, बढ़ई, मल्लाह सहित कई निचली जातियां शामिल हैं।
विधानसभा सीटों का हाल
बहराइच (अ0जा0) लोकसभा सीट के तहत बलहा (अ0जा0), नानपारा, महसी, बहराइच सदर और मटेरा कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। मटेरा सीट पर सपा काबिज है। वहीं नानपारा पर भाजपा के सहयोगी अपना दल सोनेलाल का विधायक है। बाकी सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
जीत का गणित और चुनौतियां
सपा बहराइच लोकसभा सुरक्षित सीट से पूर्व विधायक रमेश चन्द्र को नए चेहरे के रूप में पेश किया है। रमेश चन्द्र के पिता माता प्रसाद भी राजनीति में काफी सक्रिय थे। वहीं भाजपा ने भी इस चुनाव में अपने मौजूदा सांसद अक्षयवर लाल के स्थान पर उनके बेटे डॉ. आनंद कुमार के चेहरे पर अपना दांव खेला है। भाजपा प्रत्याशी मोदी-योगी सरकार के विकास कार्यों को गिना रहे हैं, वहीं राममंदिर और धारा 370 का मुद्दा भी यहां काफी असर दिखाई देता है। वहीं सपा और बसपा प्रत्याशी बेरोजगारी, मंहगाई, अग्निवीर योजना और विकास कार्यों में भेदभाव को मुद्दा बना रहे हैं।
राजनीतिक विशलेषक राघवेन्द्र मिश्र के अनुसार, यहां भाजपा को सपा टक्कर दे रही है। बसपा अगर मुस्लिम वोटरों में सेंधमारी कर पाई तो सपा का नुकसान होना लाजिमी है। वहीं भाजपा के सामने भी बसपा द्वारा दलित वोटों में होने वाले बिखराव को रोकने की चुनौती है।
बहराइच से कौन कब बना सांसद
1952 रफी अहमद किदवई (कांग्रेस)
1957 जोगिन्दर सिंह (कांग्रेस)
1962 कुंवर राम सिंह (स्वतंत्र पार्टी)
1967 के0के0 नायर (भारतीय जनसंघ)
1971 बदलू राम (कांग्रेस)
1977 ओम प्रकाश त्यागी (भारतीय लोकदल)
1980 मौलाना सैय्यद मुजफ्फर हुसैन (कांग्रेस आई)
1984 आरिफ मोहम्मद खां (कांग्रेस)
1989 आरिफ मोहम्म्द खां (जनता दल)
1991 रूद्रसेन चौधरी (भाजपा)
1996 पदमसेन चौधरी (भाजपा)
1998 आरिफ मोहम्मद खां (बसपा)
1999 पदमसेन चौधरी (भाजपा)
2004 रूबाब साइदा (सपा)
2009 कमल किशोर (कांग्रेस)
2014 सावित्रीबाई फुले (भाजपा)
2019 अक्षयबर लाल (भाजपा)