जबलपुर , 10 मई (हि.स.)जबलपुर के प्रधान जिला न्यायाधीश आलोक अवस्थी ने लोक अदालत के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि केवल जबलपुर जिले में एक लाख 47 हजार मुकदमे जिला अदालतों में लंबित हैं। शहर में शनिवार को लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है।
दरअसल, इस न्यायालयों में लंबित प्रकरणों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में जबलपुर जिले में सिहोरा एवं पाटन न्यायालयों को सम्मिलित करते हुए कुल 147144 प्रकरण लंबित हैं, जिनमें से 41425 सिविल प्रकृति के तथा 105719 आपराधिक प्रकृति के हैं। इन कुल लंबित प्रकरणों में से 7279 प्रकरण चिन्हित कर 11 मई 2024 को होने वाली नेशनल लोक अदालत के लिए रेफर किया गया है।
जबलपुर प्रधान जिला न्यायाधीश का कहना है कि जबलपुर में 11 मई को लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लोग अपने छोटे मुकदमों को तुरंत खत्म करवा सकते हैं इसका एक फायदा यह भी होगा कि दूसरे बड़े मामलों में अदालतें अपना अधिक समय देकर उनका भी निपटारा कर सकेंगी । लंबित प्रकरणों की संख्या अधिक होने के कारण ही लोगों को न्याय मिलने में देरी हो रही है और इसका असर पूरे समाज पर पड़ रहा है। यही कारण है कि जिलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
प्रधान जिला न्यायाधीश ने आगे कहा कि इनमें कुछ मुकदमे तो ऐसे हैं जिनमें सबूतों और गवाहों की जरूरत होती है, लेकिन बहुत से मुकदमे ऐसे होते हैं, जिनमें बहुत अधिक बहस की जरूरत नहीं होती बल्कि आमने-सामने बैठकर दो पक्षकार अपनी बात रख देते हैं और बात खत्म हो जाती है। इस तरह मुकदमा भी खत्म हो जाता है। इसलिए यदि कोई पक्षकार मुकदमा खत्म करवाना चाहता है तो इस लोक अदालत में पक्षकार अपना आवेदन पेश कर सकता है। जिसमें तुरंत न्याय मिलेगा और यह अंतिम भी होगा। मतलब लोक अदालत में जिस मामले का फैसला हो जाता है उसे दोबारा कहीं चुनौती नहीं दी जा सकती. इसलिए यहां ना बार-बार पेशी होती है और ना बार-बार अदालत के चक्कर लगाने पड़ते हैं।