प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आए हैं कि इसी अवधि (1950 से 2015) के दौरान देश की हिंदू आबादी में 7.8 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि मुस्लिम आबादी में 43.15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अखिल भारतीय संत समिति ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और मांग की है कि पूरे देश में एक समान जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए. स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने एक इंटरव्यू में कहा कि देश में हिंदुओं की आबादी तेजी से घट रही है, जबकि मुसलमानों की आबादी बेहिसाब बढ़ रही है. कुछ राजनीतिक दल अवैध रूप से बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को लाकर देश में मुस्लिम आबादी बढ़ा रहे हैं। चिंता की बात यह है कि यदि किसी देश की मूल जनसंख्या की तुलना में अन्य वर्गों की जनसंख्या बढ़ जाती है तो उस देश के दो विभाजन हो जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र कानून बना सकता है
देश भर में मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर सवाल उठाते हुए स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को देश में सभी धर्मों और वर्गों के लोगों के लिए समान जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का निर्देश देने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून बनाना केंद्र सरकार का काम है. कोर्ट इस संबंध में कोई आदेश नहीं दे सकता. लेकिन केंद्र सरकार अभी तक इस मुद्दे पर कोई कानून नहीं लायी है. उन्होंने कहा कि उनकी स्पष्ट राय है कि यदि देश का विभाजन रोकना है तो समान जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाना चाहिए।
साल 2022 में केंद्र सरकार ने मना कर दिया
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री भारती पवार ने जुलाई 2022 में राज्यसभा में कहा था कि केंद्र सरकार ऐसा कोई कानून नहीं ला रही है. देश को जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की कोई जरूरत नहीं है. जब स्वामी जी का ध्यान उस ओर गया तो उन्होंने कहा कि मैं राजनीति की बात नहीं कर रहा हूं.