लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की नई रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 1950 के बाद से भारत में हिंदुओं की आबादी में करीब 8 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं दूसरी ओर मुस्लिमों की आबादी का ग्राफ तेजी से 43 फीसदी बढ़ा है. इस मुद्दे पर सियासी घमासान शुरू हो गया है. बीजेपी का आरोप है कि ये सब मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों का नतीजा है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि बेरोजगारी, किसान और महिला सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए.
लोगों के जीवन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा, ‘हमें उन मुद्दों पर बात करनी चाहिए जो लोगों के जीवन से जुड़े हैं. बेरोजगारी, किसान, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए. बीजेपी वाले अपने हिसाब से मुद्दे बनाते हैं, इसलिए बोलते रहते हैं. ये मुद्दे नहीं हैं.
बिहार के उपमुख्यमंत्री ने क्या कहा?
बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता विजय सिन्हा ने कहा, ‘चुनाव के बाद इस मुद्दे की समीक्षा की जाएगी. हम तुष्टिकरण की राजनीति नहीं होने देंगे. अब हम भारत माता की संतानों को संतुष्ट करेंगे।’ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने कहा, ‘अगर ऐसा हुआ है तो यह चिंता की बात है. आइए हम समावेशी विकास में मिलकर आगे बढ़ें।’ इसका अध्ययन किया जाना चाहिए.’
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल करते हुए पूछा, ‘यह रिपोर्ट किसने बनाई? ‘व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा।’
रिपोर्ट में क्या दावा किया गया?
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हिंदुओं की आबादी में करीब 8 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि 1950 की तुलना में 2015 तक अल्पसंख्यक आबादी 43.15 फीसदी बढ़ गई है. 1950 में, मुस्लिम जनसंख्या का 9.84 प्रतिशत थे। 2015 में मुस्लिम आबादी बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई. हालाँकि, इस बीच जैन और पारसियों की संख्या में गिरावट आई है। ईसाइयों में 5.38%, सिखों में 6.58% और बौद्धों में थोड़ी वृद्धि हुई है।’