लिव इन रिलेशनशिप के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को कलंक बताया है. कोर्ट ने कहा कि यह भारतीय संस्कृति का अपमान है. हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह पश्चिमी देशों से आयातित विचार है जो भारतीय रीति-रिवाजों की सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दंतेवाड़ा से जुड़े एक मामले में यह फैसला सुनाया. जस्टिस गौतम भादुड़ी और संजय एस अग्रवाल की डबल बेंच ने लिव-इन रिलेशनशिप में यौन संबंध से पैदा हुए बच्चे की कस्टडी के एक मामले में यह सख्त टिप्पणी की। दरअसल, बच्चे की कस्टडी के मुद्दे पर पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज के कुछ क्षेत्रों में अपनाई जाने वाली लिव-इन रिलेशनशिप आज भी भारतीय संस्कृति में एक कलंक के रूप में चल रही है. क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप एक आयातित विचार है, जो भारतीय रीति-रिवाजों की सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत है।
अदालत अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती
कोर्ट ने कहा कि शादीशुदा व्यक्ति के लिए लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर निकलना आसान होता है। ऐसे मामले में, न्यायालय उपरोक्त दर्दनाक लिव इन रिलेशनशिप से बचे लोगों और उस रिश्ते से पैदा हुए बच्चों की दुर्दशा पर अपनी आँखें बंद नहीं कर सकता है। कोर्ट ने इस रिश्ते को भारतीय मान्यताओं के विपरीत माना.