मुख्यमंत्री का निजी सचिव बनकर कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव को धमकाया

जयपुर, 8 मई (हि.स.)। सांगानेर थाने में कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव आलोक राज को धमकाने का मामला दर्ज हुआ है। इस मामले में बोर्ड के एडवाइजर विजिलेंस एंड सिक्योरिटी अधिकारी भीमसेन ने थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। शिकायत में बताया कि बदमाशों ने खुद को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का निजी सचिव शशिकांत शर्मा और सुरेश राजावत बता कर धमकाया। पुलिस ने मामला दर्ज कर मामले की जांच में जुटी है।

पुलिस के अनुसार पीड़िता को धमकाने वाले ने कहा कि वह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निजी सचिव हैं। भरतपुर जिले को देखते हैं। अगर उनका बताया काम नहीं हुआ तो आप और परिवार के लिए अच्छा नहीं होगा। इस पर भीमसेन ने दोनों के बारे में सीएमओ के अधिकारियों को सूचना दी। पता चला कि ऐसा कोई नहीं है। इसके बाद भीमसेन ने सांगानेर थाने में केस दर्ज करवाया। कर्मचारी चयन बोर्ड के एडवाइजर विजिलेंस एंड सिक्योरिटी भीमसेन ने बताया कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने परिवहन विभाग के लिए मोटर वाहन उपनिरीक्षक भर्ती 2020 (परीक्षा 2021) की जा रही है। इस भर्ती प्रक्रिया के संबंध में कोर्ट ने 22 फरवरी 2023 को डिप्लोमा धारकों के पक्ष में निर्णय दिया था। इसके खिलाफ परिवहन विभाग व कुछ अभ्यर्थियों ने कोर्ट की डबल बेंच से 13 अप्रैल 2023 को स्टे प्राप्त कर लिया। बोर्ड ने स्टे के आदेश में संशोधन करवाने के लिए 18 अक्टूबर 2023 को आवेदन हाईकोर्ट में पेश किया था। 18 अप्रैल 2024 को परिवहन विभाग ने बोर्ड के आवेदन पत्र को वापस करने के लिए चयन बोर्ड के सचिव को कहा था। इस पर सचिव ने अध्यक्ष से चर्चा की। जिस पर बोर्ड के अभिभाषक (स्पीकर) को आवेदन पत्र वापस लेने के लिए कहा गया। 19 अप्रेल 2024 को कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव के मोबाइल पर फोन आया। कॉल करने वाले ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के भरतपुर कार्यालय से निजी सचिव बोल रहा हूं। सचिव ने उसका नाम पूछा तो उसने बताया कि मेरा नाम शशिकांत शर्मा है।

स्टे ऑर्डर में संशोधन के लिए लगा प्रार्थना पत्र वापस नहीं लेने के लिए कहा फिर कॉल करने वाले ने सचिव से पूछा कि क्या आप राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड सचिव बोल रहे हैं। सचिव ने कहा हां बोल रहा हूं। इसके बाद कॉल करने वाले ने कहा एमवीएसआई वाले केस में स्टे ऑर्डर में संशोधन के लिए लगा प्रार्थना पत्र वापस नहीं लेने के लिए कहा। उसने कहा- मेरी सीएम साहब से बात हो गई है। उसने कहा- बोर्ड द्वारा लगाया गया आवेदन उन्होंने ही लगवाया था।

सचिव ने कहा कि आप मुख्यमंत्री के निजी सचिव हैं तो पहले सीएमओ के सक्षम अधिकारी से चर्चा करके लिखित में भिजवा दीजिए। कॉल करने वाले शशिकांत ने कहा कि अभी मेरी बात मुख्यमंत्री से नहीं हो पा रही। बात होने पर लिखवाकर भिजवा दूंगा। इसलिए 20 अप्रैल को कोर्ट में आवेदन वापस लेने की कार्रवाई न करें। सचिव ने कहा- लिखवा के दिए बिना हम नियमानुसार काम करेंगे। इस पर उसने गुस्से में आकर कहा- तो फिर तुम और तुम्हारा परिवार इसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। फिर उसने फोन काट दिया। इसके बाद सचिव ने मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी ली। पता चला शशिकांत शर्मा नाम का कोई निजी सचिव नहीं है। इसी तरह का दूसरा फोन भी 19 अप्रेल को आया। उसने खुद को सुरेश राजावत बताया। कहा कि एमवीएसआई भर्ती सम्बन्धी उच्च न्यायालय में विचाराधीन स्टे का आवेदन वापस मत लेना। वह मुख्यमंत्री का निजी सचिव बोल रहा है। भरतपुर कार्यालय संभालता है। उसने यह भी कहा कि उसकी परिवहन आयुक्त से भी बात हो गई।