अहमदाबाद, 06 मई (हि.स.)। आरटीआई एक्टिविस्ट अमित जेठवा हत्या मामले में भाजपा के पूर्व सांसद दीनू बोधा सोलंकी समेत 7 आरोपितों को बड़ी राहत मिली है। मंगलवार को मामले में सुनवाई की गई जिसमें गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को अयोग्य ठहराते हुए रद्द कर दिया और सभी आरोपितों को केस से मुक्ति दे दी।
इससे पूर्व सीबीआई की ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपितों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कैद की सजा सुनाई थी। आरोपितों ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को 7 जून, 2019 को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुण्डकोपनिषद के सत्यमेव जयते का भी उल्लेख किया। कोर्ट ने कहा कि धर्म लोगों के हृदय में बसता है, इसके बगैर कोई कानून, संविधान, सुधार संभव नहीं है। पीड़ित पक्ष की ओर से कोर्ट में आनंद याग्निक, दीनू बोधा सोलंकी की ओर से राजेश मोदी और सीबीआई की तरफ से मुकेश कापडिया कोर्ट में हाजिर हुए।
आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की अहमदाबाद में हाई कोर्ट के बाहर सत्यमेव कॉम्प्लेक्स के पास 20 जुलाई, 2010 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस दिन अमित जेठवा हाई कोर्ट में दीनू सोलंकी से उसकी जान को खतरा होने के संबंध में शपथ पत्र देने जा रहे थे। हत्या के बाद मृतक के पिता भीखा जेठवा ने गिर सोमनाथ के पूर्व सांसद दीनू बोधा सोलंकी समेत 7 लोगों के विरुद्ध अहमदाबाद के सोला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। सोला पुलिस के बाद केस की जांच के लिए एसआईटी बनाई गई थी। बाद में इसकी सीबीआई जांच की मांग की गई। हाई कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2012 में यह केस सीबीआई को ट्रांसफर किया गया। 5 नवंबर, 2013 को पूर्व सांसद दीनू बोधा सोलंकी को गिरफ्तार कर लिया गया। साढ़े 3 महीने तक जेल में रहने के बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। बाद में सीबीआई कोर्ट ने वर्ष 2019 में दीनू सोलंकी समेत 7 आरोपितों को हत्या और आपराधिक षडयंत्र करने के केस में आजीवन कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही 15 लाख रुपये का जुर्माना भी वसूलने का आदेश दिया था।
सीबीआई कोर्ट के दोषी ठहराने के बाद दीनू सोलंकी ने 7 जून, 2019 को सीबीआई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध हाई कोर्ट में आवेदन किया। इसके बाद सितम्बर 2021 में हाई कोर्ट ने अपील लंबित रखते हुए दीनू सोलंकी की सजा पर स्टे दिया था। पिछले साल उनके भतीजा शिवा सोलंकी के आजीवन कैद की सजा पर स्टे दिया गया था। इसके साथ ही सजा के विरुद्ध दायर अपील पर सुनवाई बाकी होने तक जमानत दे दी थी। इस केस में 7 आरोपित थे, जिनमें शैलेष पंडया, उदाजी ठाकोर, शिवा पचाण, शिवा सोलंकी, बहादुरसिंह वाढेर, संजय चौहाण और दीनूबोधा सोलंकी के नाम शामिल हैं।