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गुरुग्राम, 4 मई (हि.स.)। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जिला निर्वाचन अधिकारी एवं डीसी निशांत कुमार यादव ने जिला में पंजीकृत सभी प्रिंटिंग प्रेस को चुनाव पैम्फलेट, पोस्टर और संबंधित सामग्री की छपाई और प्रकाशन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
डीसी ने सभी सभी पंजीकृत मुद्रकों और प्रकाशकों को नोटिस जारी किया, जिसमें बताया गया कि चुनाव पैम्फलेट, पोस्टर आदि की छपाई और प्रकाशन प्रतिनिधित्व की धारा 127-ए के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रिंटिंग प्रेस मालिकों को निर्देश दिए हैं कि वे बिना जांच पड़ताल व नियमों के विरूद्ध जाकर कोई भी चुनाव प्रचार सामग्री प्रकाशित न करें। चुनाव के दौरान मुद्रक व प्रकाशक के नाम के बिना चुनाव से संबंधित पम्पलेट व पोस्टर आदि छापना जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 127 ए का उल्लंघन है और ऐसा करने वाले प्रिंटर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-188 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जिसमें छह महीने की सजा से लेकर प्रिंटिंग प्रेस का लाइसेंस निरस्त करने का प्रवाधान है। उन्होंने कहा कि चुनाव से संबंधित हर सामग्री पर मुद्रक व प्रकाशक का नाम अवश्य छापें। जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि भारतीय चुनाव आयोग ने लोकसभा उम्मीदवारों के खर्च की सीमा निर्धारित की हुई है इसलिए यह जरूरी है कि उनके पम्पलेट व पोस्टर आदि के खर्च का भी पूरा हिसाब किताब रहे। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव से संबंधित पम्पलेट व पोस्टर आदि उसी स्थिति में छापें जब सामग्री छपवाने वाला व्यक्ति हलफनामे के साथ दो गवाह दें और उनके हस्ताक्षर भी लेने जरूरी हैं।
ऐसे पोस्टर व पम्पलेट आदि छापने के बाद उनकी एक कॉपी जिला मैजिस्ट्रेट को भेजनी होगी और राज्य स्तर पर मुख्य चुनाव अधिकारी को कॉपी भेजकर यह बताना होगा कि अमुक व्यक्ति ने चुनाव से संबंधित कितनी संख्या में पोस्टर अथवा पम्पलेट छपवाएं है और उनके खर्च का भी विवरण देना होगा। कॉपी से कॉपी करना भी इसी श्रेणी में आता है। चुनाव पम्पलेट/पोस्टर का अर्थ प्रचार के लिए प्रयोग किए जाने वाले उन सभी दस्तावेजों से है, जिनमें किसी भी राजनीतिक दल या लोकसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार से संबंधित प्रचार की जानकारी हो।