सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ईवीएम से वोटिंग के बाद हर वोट वीवीपैट पर्ची से लेने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। इस बीच एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. उस याचिका में मांग की गई है कि अगर किसी सीट पर नोटा (इनमें से कोई नहीं) को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो चुनाव रद्द कर दिया जाए और उस सीट पर दोबारा चुनाव कराया जाए. याचिका में यह भी मांग की गई है कि नोटा से कम वोट पाने वाले सभी उम्मीदवारों को पांच साल के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए। याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘चूंकि मामला चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा है, इसलिए यह देखा जाएगा कि चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया क्या होती है।’ सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक शिव खेड़ा ने एक जनहित याचिका दायर की है. शिव खेड़ा की ओर से अदालत में पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायण ने सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के निर्विरोध चुने जाने का उदाहरण दिया और कहा कि मैदान में केवल एक ही उम्मीदवार बचा था. वकील ने कहा कि चुनाव आयोग को नोटा को भी उम्मीदवार घोषित करना चाहिए.
दो दौर की वोटिंग के बाद आवेदन
सूरत में 22 अप्रैल को बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल के निर्विरोध जीतने के मामले में अर्जी दाखिल की गई है. यहां कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी का नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया. उनके नामांकन पत्र में गवाहों के नाम और हस्ताक्षर को लेकर भ्रम की स्थिति थी. इस सीट पर 10 उम्मीदवार मैदान में थे. 21 अप्रैल को 7 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली.
अन्य राज्यों में यह नियम है: आवेदक
याचिका में कहा गया है कि साल 2013 में नोटा का क्रियान्वयन शुरू होने के बाद से दो बार नोटा को फर्जी उम्मीदवार घोषित करने की मांग की गई है. यह भी कहा गया है कि महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और पांडिचेरी समेत कई राज्यों में नोटा को लेकर नियम है कि अगर किसी चुनाव में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो दोबारा चुनाव कराया जाना चाहिए.