सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जरिए डाले गए वोटों के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के मिलान को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। वीवीपैट मुद्दे पर कई दिनों की सुनवाई के बाद चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. लोकसभा चुनाव के चल रहे दूसरे चरण के दौरान ईवीएम से डाले गए वोटों का वीवीपैट पर्चियों से 100 फीसदी मिलान की मांग वाली सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दीं। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमने वीवीपैट से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने आदेश में चुनाव आयोग से सिंबल लोडिंग यूनिट को 45 दिनों तक सुरक्षित रखने को कहा. कोर्ट ने आगे कहा कि बनी-बनाई व्यवस्था पर आंख मूंदकर सवाल नहीं उठाए जा सकते. यदि कोई अभ्यर्थी सत्यापन चाहता है तो उस स्थिति में उससे शुल्क लिया जाना चाहिए। अगर ईवीएम में कोई छेड़छाड़ पाई जाती है तो उसे रिफंड कर दिया जाए.
दरअसल, कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों के 100 फीसदी मिलान की मांग की थी. इससे पहले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस बेंच में जस्टिस दीपांकर दत्ता भी शामिल थे. इससे पहले बुधवार को अदालत ने ईवीएम की कार्यप्रणाली से संबंधित कुछ तकनीकी पहलुओं को स्पष्ट करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी को तलब किया था।