लोकसभा चुनाव की सरगर्मी अब चरम पर पहुंच गई है. पहले चरण का मतदान ख़त्म हो चुका है. कम मतदान हर पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है। लेकिन क्या ज्यादा वोट मिलने पर भी जीत की कोई गारंटी है? लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने सिर्फ 37.7 फीसदी वोट शेयर के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. पार्टी ने 303 सीटें जीतीं. वहीं, 1989 में कांग्रेस करीब 40 फीसदी वोट पाकर भी 200 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई थी. आखिर क्यों?
क्या यह कारण हो सकता है?
ऐसा चुनावों में अधिक पार्टियों के शामिल होने और गठबंधन राजनीति के चलन के कारण हो रहा है। दरअसल, 1989 से 2019 के लोकसभा चुनाव के बीच 40 साल में सबसे बड़ी पार्टी का वोट शेयर 20 फीसदी से 40 फीसदी के बीच रहा है. इस अवधि के दौरान गठबंधन की राजनीति भी तेजी से बढ़ी। लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोट पाना सरकार बनने की गारंटी नहीं है. कम से कम इन आंकड़ों को देखकर तो यही लगता है.
जिस साल चुनाव हुआ | एक राजनीतिक दल | सीटें प्राप्त करें | वोटशेयर (प्रतिशत) |
1951 | कांग्रेस | 364 | 45 |
1957 | कांग्रेस | 371 | 47.8 |
1962 | कांग्रेस | 361 | 44.7 |
1967 | कांग्रेस | 283 | 40.8 |
1971 | कांग्रेस | 352 | 43.7 |
1977 | बीएलडी | 295 | 41.3 |
1980 | कांग्रेस | 353 | 42.7 |
1984-85 | कांग्रेस | 414 | 48.1 |
1989 | कांग्रेस | 197 | 39.4 |
1991-92 | कांग्रेस | 244 | 36.4 |
1996 | बी जे पी | 161 | 20.3 |
1998 | बी जे पी | 182 | 25.6 |
1999 | बी जे पी | 182 | 23.8 |
2004 | कांग्रेस | 145 | 26.5 |
2009 | कांग्रेस | 206 | 28.6 |
2014 | बी जे पी | 282 | 31.3 |
2019 | बी जे पी | 303 | 37.7 |
बढ़ती राजनीतिक पार्टियां
1951 के आम चुनाव में 53 पार्टियां मैदान में थीं, 2019 का चुनाव आते-आते ये संख्या 12 गुना बढ़ गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में 670 पार्टियां अपनी किस्मत आजमा रही थीं.
2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. जब डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीत गए. तब उन्हें मिले वोटों का प्रतिशत हिलेरी क्लिंटन से भी कम था. ऐसा 2018 के मध्य प्रदेश चुनाव में भी देखने को मिला था, जहां कांग्रेस का कुल वोट प्रतिशत बीजेपी से कम था, लेकिन सीटों के मामले में वह फिर भी बीजेपी से आगे थी. 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 114 सीटें और बीजेपी को 109 सीटें मिलीं.
देश में प्रति सीट औसतन 17.85 लाख मतदाता हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 96.97 करोड़ है. कम वोट मूल्य (अधिक मतदाता होने के बावजूद कम सांसद चुनने का अवसर) के मामले में देश के शीर्ष 5 राज्य राजस्थान (21.04), दिल्ली (21.04), हरियाणा (19.83), मध्य प्रदेश (19.45) और तेलंगाना (19.43) हैं। . सर्वाधिक वोट मूल्य वाले राज्यों में अरुणाचल प्रदेश (4.44) है। इसके बाद सिक्किम (4.64), गोवा (5.83), मिजोरम (8.61) और मणिपुर (10.24) हैं। यदि आप राज्य में मतदाताओं की कुल संख्या को राज्य की कुल लोकसभा सीटों से विभाजित करते हैं, तो आपको अपने राज्य के वोट का मूल्य पता चल जाएगा।
बीजेपी का 400 सीटों का लक्ष्य
इस लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने 400 प्लस सीटों का लक्ष्य रखा है. पिछले चुनाव में बीजेपी को 303 सीटें मिली थीं. बीजेपी को मिली कुल सीटों में से तीन-चौथाई (224) सीटों पर उसे 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले. कांग्रेस के लिए ऐसी सीटों की संख्या सिर्फ 18 थी.