आज के समय में तनाव की समस्या इतनी आम हो गई है कि लगभग हर दिन तनाव प्रबंधन के नाम पर एक नई थेरेपी का आविष्कार हो रहा है। स्थिति यह है कि आज बच्चे, किशोर, युवा और लगभग हर उम्र के लोग इसके शिकार बनते नजर आ रहे हैं। देखा जाए तो इस समस्या के बारे में जितनी अधिक बात हो रही है, यह समस्या उतनी ही गंभीर होती जा रही है।
ऐसे में इस समस्या के पीछे छिपे कारण और इसके वास्तविक विज्ञान को जानना बहुत जरूरी हो जाता है। तनाव के पीछे का विज्ञान बताता है कि कुछ हद तक तनाव होना भी व्यक्ति के लिए फायदेमंद होता है। इसलिए अगर आप इस विज्ञान को समझ गए तो तनाव को नियंत्रित करने के साथ-साथ इसका सकारात्मक उपयोग करना भी जान जाएंगे।
तनाव के पीछे का विज्ञान क्या है?
ध्यान देने वाली बात यह है कि तनाव महसूस करना शरीर की एक प्रतिक्रियात्मक स्थिति है। आपको बता दें कि जब कोई बाहरी परिस्थिति, घटना या किसी तरह का दबाव महसूस होता है, तो शरीर में सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है। ताकि आप और आपका शरीर उस परिस्थिति या चुनौती का सही तरीके से सामना कर सके। ऐसी स्थिति में शरीर में रक्त संचार तेजी से होता है, जिससे हृदय गति बढ़ने के साथ-साथ घबराहट और अति संवेदनशीलता महसूस होती है।
सीमित तनाव लाभदायक हो सकता है
तनाव आपके दिमाग और शरीर को बाहरी परिस्थितियों से लड़ने के लिए उत्तेजना प्रदान करता है। लेकिन अगर आप इस संकेत और उत्तेजना को सही तरीके से नहीं लेते हैं, तो यह आप पर हावी हो सकता है। इसके कारण मानसिक और शारीरिक समस्याएं पैदा होती हैं। लेकिन अगर आप इसे सही तरीके से लेते हैं तो यह बाहरी चुनौतियों का सामना करने में मददगार साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इससे मिलने वाले फायदों के बारे में।
मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाएँ
तनाव की स्थिति में मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ जाता है, जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है। ऐसे में आप किसी भी चीज़ पर ठीक से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और अपने लिए बेहतर निर्णय ले पाते हैं।
मस्तिष्क संरचना में सुधार
सीमित मात्रा में तनाव मस्तिष्क की संरचना के लिए भी फायदेमंद होता है। इससे मस्तिष्क में स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण और विकास में मदद मिलती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये
सीमित मात्रा में लिया गया तनाव भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक माना जाता है। दरअसल, तनाव की स्थिति में शरीर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सक्रिय रूप से काम करते हैं और इस कारण संक्रामक रोगों से बचाव होता है।
याददाश्त सुधारने में सहायक
चिकित्सा क्षेत्र में किए गए शोध के अनुसार, तनाव की स्थिति में शरीर में कॉर्टिकोस्टेरोन नामक तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। सीमित रूप में यह तनाव हार्मोन मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क की सीखने और चीजों को याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है।
सीमित मात्रा में लिया गया तनाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, बशर्ते आपको इसका इस्तेमाल करना आता हो। तनाव के संकेत आपको ज़्यादा सतर्क और चीज़ों के प्रति जागरूक बनाते हैं। लेकिन जब हम इसे सही तरीके से नहीं ले पाते, तो यह हम पर हावी हो जाता है और नकारात्मक प्रभाव डालने लगता है। इसलिए, आपको तनाव को नियंत्रित करने यानी स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में पता होना चाहिए।
तनाव को कैसे नियंत्रित करें?
- तनाव को नियंत्रित करने के लिए आपको मानसिक रूप से खुद को मजबूत करना होगा। इसके लिए योग, ध्यान और गहरी साँस लेने के व्यायाम मददगार हो सकते हैं।
- तनाव के लक्षण दिखने पर परेशान होने की बजाय खुद को शांत करने का प्रयास करना चाहिए ताकि तनाव का मुख्य कारण समाप्त किया जा सके।
- अगर तनाव आपके नियंत्रण से बाहर हो रहा है तो इस मामले में दूसरों की मदद लेना बेहतर होगा। इस बारे में दूसरों से बात करके समस्या का समाधान किया जा सकता है।
- तनाव को नियंत्रित करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य का बेहतर होना भी बहुत ज़रूरी है। इसलिए अपने खान-पान और दिनचर्या में संतुलन बनाने की कोशिश करें।
इस तरह कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप न सिर्फ तनाव को नियंत्रित कर सकते हैं बल्कि उसका सही इस्तेमाल भी कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि स्वास्थ्य से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।