बच्चों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और उचित मार्गदर्शन की जरूरत है। अगर माता-पिता इस काम में उनकी मदद करें तो बच्चे आसानी से अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। परिवार ही बच्चे की इच्छाओं और आकांक्षाओं को पूरा करता है। बच्चे अक्सर सबसे सफल होते हैं जो वयस्कों की सलाह का पालन करते हैं। बच्चे की रुचि को ध्यान में रखते हुए उसे ध्यान से देखें कि क्या वह वाकई अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहा है या नहीं। करियर चुनते समय माता-पिता ही बच्चे को उचित मार्गदर्शन दे सकते हैं और यह उचित मार्गदर्शन ही आगे चलकर बच्चों को अच्छे परिणाम दे सकता है।
लक्ष्य थोपे नहीं जाने चाहिए
जिन बच्चों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिलता, वे अक्सर भटक जाते हैं, जिससे अवसाद और मानसिक तनाव होता है। बच्चों पर कभी भी लक्ष्य नहीं थोपना चाहिए। ऐसा करने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और उनके मनोबल को ठेस पहुंचती है। बच्चों में रातों-रात सफलता पाने की बढ़ती चाहत और सहनशीलता की कमी भी बच्चों को निराश बना रही है, जिसके कारण बच्चे तनाव और हताशा का शिकार हो रहे हैं। बच्चे को हमेशा समय की कीमत, बड़ों का आदर करना और उनकी बात मानने के बारे में समय-समय पर बताएं।
सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखें
मोबाइल, सोशल मीडिया के अत्यधिक प्रयोग से मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जहां तक संभव हो, बच्चे को इसके दुष्प्रभावों के बारे में हमेशा सूचित रखें और इसका उपयोग कम से कम करें। अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता की अपने बच्चों के प्रति उपेक्षा, उनकी रुचियों के बारे में जानकारी न रखना और उनके काम पर ध्यान न देना भी बच्चे के सही भविष्य के चयन में बाधा बन जाता है। जरूरी है कि बच्चे को समय-समय पर मार्गदर्शन देते रहें और उससे यह भी जानकारी लेते रहें कि वह भविष्य को लेकर किस तरह के विचार रखता है।
शिक्षकों से बात करें
कुछ समय के अंतराल पर शिक्षकों से भी बच्चे के बारे में बात करें। स्कूल की गतिविधियों के बारे में जानें और घर की गतिविधियों को शिक्षक के साथ साझा करें। केवल माता-पिता ही वास्तव में अपने बच्चों की देखभाल कर सकते हैं और उनका भविष्य तैयार कर सकते हैं। आइए हम बच्चे पर किसी भी प्रकार का लक्ष्य थोपने के बजाय बिना किसी दबाव के उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार सही विकल्प चुनने पर सहमत हों, ताकि वे भविष्य के लिए सही रास्ता चुनकर आगे बढ़ सकें।