मुख्यमंत्री ने आनन फानन में दर्ज करवाई फर्जी एफआईआर : सुधीर शर्मा

धर्मशाला, 13 अप्रैल (हि.स.)। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री एवं पूर्व विधायक सुधीर शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर पलटवार किया है। सुधीर शर्मा ने हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर दर्ज की गई एफआईआर सांझा करते हुए इसे फर्जी करार दिया है। यह एफआईआर राज्य सभा चुनाव के बाद शिमला के बालुगंज थाना में दर्ज करवाई गई थी। सुधीर शर्मा ने कहा कि एफआईआर में विधायक हमीरपुर आशीष शर्मा के साथ पूर्व विधायक गगरेट चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा का नाम भी दर्ज है, जिनकी उम्र 30 वर्ष लिखी गई है जबकि वह एक सेवानिवृत अधिकारी हैं, जोकि हैरानी का विषय है। इसके अतिरिक्त शिकायतकर्ता संजय अवस्थी उम्र 59 वर्ष के साथ उनका धर्म यहुदी लिखा गया है। सुधीर शर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पुलिस अधीक्षक शिमला को अपना बेहद करीबी मानते हैं लेकिन आनन-फानन में दर्ज की गई एफआईआर में ढेरों त्रुटियां हैं और ऐसा भी हो सकता है कि जानबूझ कर फर्जी एफआईआर बनाई गई हो। सुधीर शर्मा ने उक्त एफआईआर को फर्जी करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मात्र लोगों को गुमराह करने और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायकों को डराने-धमकाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। सुधीर शर्मा ने कहा कि ऐसी जाली एफआईआर दर्ज करवाना दर्शाता है कि प्रदेश कमजोर हाथों में है। सुधीर शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रदेश की जनता को जबाव देना होगा।

मुख्यमंत्री बन रहे हंसी का पात्र

सुधीर शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह हंसी का पात्र बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में हमीरपुर के गलोड़ में आयोजित एक रैली में मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया कि वह दुकान मिल गई जहां बागी विधायकों ने करंसी नोट भरने के लिए अटैची खरीदे। सुधीर शर्मा ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि वह अब तक जनता के सामने साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाएं और अटैची की दुकान पता लगने की बात कर रहे हैं। उन्होंने गलोड़ में मुख्यमंत्री की रैली पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि यह वही जगह है कि जहां मुख्यमंत्री ने सत्ता संभालते ही भाजपा सरकार में स्वीकृत हुआ डिग्री कॉलेज डिनोटिफाई कर दिया था। इस रैली में 500 लोगों की व्यवस्था थी लेकिन रैली तक मात्र 200 के करीब ही लोग पहुंचे। यह मात्र एकलौता संस्थान नहीं है जो मुख्यमंत्री ने सत्ता संभालते ही बंद किया हो, ऐसे प्रदेश भर कई संस्थान थे जिन्हे मुख्यमंत्री ने डिनोटिफाई कर दिया था। जनता में मुख्यमंत्री को लेकर आक्रोश है, जिसका जबाव उन्हें आगामी चुनावों में मिलेगा।