नई दिल्ली, 12 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने दिल्ली सरकार के 12 वित्त पोषित कॉलेजों में पिछले कई वर्षों से चले आ रहे वित्तीय संकट को हल कराने, मंत्री आतिशी के पत्र को वापस लेने और नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर एवं कर्मचारियों की भर्ती शुरू करने की मांग को लेकर महाराजा अग्रसेन कॉलेज गेट पर धरना दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में शिक्षकों ने हिस्सेदारी की।
डूटा कई वर्षों से लगातार इन मांगों को लेकर दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री एवं उपराज्यपाल से गुहार लगा रहा है लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है। डूटा का यह चौथा क्लस्टर धरना था, जिसमें डॉ भीमराव अम्बेडकर, महाराजा अग्रसेन, शहीद राजगुरु महर्षि वाल्मीकि, आचार्य नरेंद्र देव, पीजीडीएवी, रामानुजन, देशबंधु, श्यामलाल कॉलेज, एलआईसी, एमएससी और विवेकानंद कॉलेज के शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
धरने पर मौजूद शिक्षकों ने दिल्ली सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के विरोध में जमकर नारेबाजी की। सैकड़ों शिक्षक सड़क पर उतरे और जनता एवं छात्रों को दिल्ली सरकार वित्त पोषित 12 कॉलेजों में चल रहे वित्तीय संकट एवं अन्य समस्याओं की जानकारी दी और दिल्ली सरकार द्वारा इन कॉलेजों के अधिग्रहण करने, स्व वित्त पोषित करने और अंबेडकर यूनिवर्सिटी में लेने की मंशा से अवगत कराया। शिक्षकों ने बताया कि दिल्ली सरकार इन 12 कॉलेजों की फंडिंग को रोक कर समस्या पैदा कर रही है।
डूटा के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने धरने पर बैठे शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली सरकार में आने के बाद से इन कॉलेजों पर संकट शुरू हो गया था। दिल्ली सरकार की नीयत इन कॉलेजों को अपने नियंत्रण में लेकर इनको स्व वित्त पोषित मॉडल में बदलना है, इसीलिए दिल्ली सरकार इनको दिल्ली यूनिवर्सिटी से डी एफिलिएट करना चाहती है। इस संबंध में केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था।
डूटा अध्यक्ष ने कहा कि डूटा दिल्ली सरकार के निजीकरण और शिक्षा विरोधी नीतियों का लगातार विरोध करता आ रहा है और आगे भी करेगा। डूटा ने बारह कॉलेजों की फंडिंग और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल से भी गुहार को लगाई है। उपराज्यपाल ने इस मामले में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी उपराज्यपाल से मिलकर इस संकट के समाधान की मांग की जिसके बाद शिक्षा सचिव ने तमाम जानकारी मांगी। वित्त सचिव ने भी आश्वासन दिया कि डीयू और यूजीसी के नियमानुसार शिक्षक पदों की संस्तुति दी जाएगी। इसके बावजूद कई कॉलेजों में मार्च का वेतन और अन्य भत्ते का फंड जारी नहीं किया गया है। अप्रैल के पहले सप्ताह में उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक में छात्र फीस से वेतन देने की संभावना तलाश करने की बात कही गई थी जो इस बात का प्रमाण है कि स्व वित्त पोषण का प्रस्तावित पैटर्न ऑफ असिस्टेंट दिल्ली सरकार 12 कॉलेजों पर लागू करना चाहती है।
डूटा अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षक संघ दिल्ली सरकार की शिक्षा विरोधी और निजीकरण की नीतियों का पुरजोर विरोध करेगा और उन्हें लागू नहीं होने देगा। डूटा अध्यक्ष ने मांग की है कि दिल्ली सरकार बिना शर्त इन कॉलेजों को पूर्ण और नियमित अनुदान जारी करे और इन कॉलेजों में शिक्षक और कर्मचारियों की स्थाई भर्ती की प्रक्रिया जल्द आरंभ करें। स्व वित्त पोषण के पैटर्न ऑफ असिस्टेंट को वापस लिया जाए। मंत्री आतिशी के वित्तीय अनियमितता और डीएफिलिएशन वाले पत्रों को तुरंत वापस लिया जाए।
डूटा अध्यक्ष ने बताया कि जब तक शिक्षकों की मांग नहीं मानी जाती है तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने मंत्री आतिशी के पत्रों की निंदा करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार सार्वजनिक शिक्षा संस्थानों को स्व वित्त पोषित संस्थानों में बदलना चाहती है जिसे डूटा कभी नहीं होने देगा। दिल्ली सरकार के छात्रों की फीस से शिक्षकों-कर्मचारियों का वेतन देने के प्रयासों का पुरजोर विरोध किया जाएगा। दिल्ली सरकार की मंत्री ने अपने पत्र में 939 शिक्षक पदों को अवैध रूप से सृजित करने की बात की थी जिसके उत्तर में डूटा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा कहना न केवल निराधार है बल्कि इन कॉलेजों के कर्मचारियों और छात्रों की बांह मरोड़ने की कोशिश है।
डूटा अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को डिग्री देने वाले स्वायत्त कॉलेजों में बदलने की मंशा रखती है जिसे डूटा किसी भी सूरत में पूरा नहीं होने देगा। धरने के बाद सैकड़ों शिक्षकों ने महाराजा अग्रसेन कॉलेज के आसपास स्थानीय इलाके में सड़क पर मार्च किया और दिल्ली सरकार के निजीकरण के प्रयास का विरोध करते हुए बारह कॉलेजों के लिए पूर्ण और नियमित अनुदान जारी करने और शिक्षक पदों की संस्तुति तथा तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग के समर्थन में जोरदार नारेबाजी की।