‘हम अंधे नहीं हैं, हमें परिणाम भुगतना होगा..’, बाबा रामदेव-बालकृष्ण पर सुप्रीम कोर्ट

पतंजलि मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों में किए गए दावों को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया. इस पर जवाब देते हुए केंद्र ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा के मुताबिक आयुष या एलोपैथी इलाज ले सकता है. दोनों प्रणालियों से जुड़े लोगों के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण करना और उन्हें नीची दृष्टि से देखना उचित नहीं है। इस बीच बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण आज फिर कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने एक बार फिर कोर्ट से माफी मांगी, लेकिन उनकी मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. जस्टिस अमानुल्लाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने मामले की सुनवाई की और कहा, ‘आपने तीन बार आदेश की अनदेखी की है. अब इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. हम अंधे नहीं हैं.’ इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार के जवाब पर भी असंतोष जताया. 

सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र के जवाब से असंतुष्ट है 

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करने के बाद केंद्र सरकार को भी जवाब देना पड़ा. इसे लेकर जस्टिस कोहली ने कहा है, ‘आयुष मंत्रालय अब तक कार्रवाई का इंतजार क्यों कर रहा था? उनके खिलाफ अब तक किसी भी अदालत में कोई अर्जी क्यों दाखिल नहीं की गई?’ वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा, ‘अगर पतंजलि ने आपके सामने दिए गए बयान का उल्लंघन किया तो आपने क्या किया? क्या आप बैठे हैं, हमारे आदेशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं? आपने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? ऐसा 6 बार हो चुका है. अक्सर लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप ही रहते थे. अधिकारियों की ओर से भी कोई पुनरावृत्ति नहीं हुई है। इसके बाद नियुक्ति अधिकारी ने भी ऐसा ही किया। इन तीनों अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए.’ 

एक बार फिर सामने आए बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण 

इससे पहले कोर्ट ने कहा था, ‘पतंजलि के विज्ञापन नियमों के खिलाफ हैं।’ इसके अलावा कोर्ट ने उचित हलफनामा दाखिल नहीं करने को लेकर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पर भी निशाना साधा. इतना ही नहीं पिछले महीने कोर्ट ने पतंजलि की ओर से मांगी गई माफी को भी मानने से इनकार कर दिया था. तब कोर्ट ने कहा, ‘बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण नए हलफनामे के साथ दोबारा पेश हों. दोनों आज फिर कोर्ट में पेश हुए हैं.’

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन का पर्दाफाश किया 

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी तीखे सवाल पूछे और कहा, ‘हमें आश्चर्य है कि आपने भी इस मामले में अपनी आंखें कैसे बंद रखीं.’ इस संबंध में केंद्र सरकार ने जवाब दिया कि, ‘अगर कोई विज्ञापन जादुई इलाज की बात करता है तो राज्यों को उसके खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है. हालाँकि, हमने कानून के मुताबिक फैसला लिया।’ कोरोना से लड़ने के लिए पतंजलि ने तैयार की कोरोनिल दवा. घोषणा आते ही पतंजलि से कहा गया कि जब तक आयुष मंत्रालय इस मामले की जांच नहीं कर लेता, तब तक ऐसी घोषणाएं न करें.

केंद्र ने आगे दावा किया कि, ‘हमने लाइसेंसिंग अथॉरिटी को बताया है कि कोरोनिल संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में एक सहायक दवा है। हमने कोरोना को ख़त्म करने के झूठे दावों से भी आगाह किया. इसके अलावा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने को कहा गया है. हमारी नीति है कि देश में आयुष और एलोपैथी चिकित्सा पद्धतियां मिलकर काम करें।’