हिसार: समग्रता से जीवन जीने के उपाय सीखकर उत्साह बरकरार रखना संभव: स्वामी संजय

हिसार, 8 अप्रैल (हि.स.)। ओशो ध्यान उपवन में समग्रता पर आधारित ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में विभिन्न क्षेत्रों से काफी संख्या में साधकों ने हिस्सा लिया। यहां पर साधकों को न केवल समग्रता से जीवन जीने के उपाय समझाए गए, बल्कि ध्यान लगाने की विधियों का अभ्यास भी करवाया गया। तनाव, अवसाद व निराशा भरे माहौल के बीच उल्लास, आनंद व उमंग भरे जीवन की कल्पना को साकार करने के बारे में विस्तार से समझाया गया।

ध्यान सत्र के आयोजक स्वामी संजय ने सोमवार को बताया कि समग्रता में ही जीवन के उल्लास का सार छिपा है। उन्होंने कहा कि इंसान रोजमर्रा की जिंदगी और अपने दायित्वों को निभाते हुए नीरसता की तरफ अग्रसर होता जाता है। इस कारण उसका जीवन उबाऊ व बोझिल बन जाता है। मनुष्य का किसी काम में मन नहीं लगता और बेचैनी घेरने लगती है, इसके विपरीत समग्रता को समझने वाला इंसान हर माहौल में उत्साहित होकर अपने में तल्लीन रहता है।

स्वामी संजय ने कहा इंसान के मन में एक ही समय में अनेक विचार चलते रहते हैं। वह शारीरिक रूप से तो घर, ऑफिस या अपने व्यावसायिक स्थल पर होता है लेकिन उसका मन कहीं और ही उड़ान भर रहा होता है। इसलिए समग्रता को समझने की आवश्यकता है। दरअसल ध्यान क्रिया सीखने से शरीर व मन एक साथ होते हैं। मनुष्य अपने आप को नव ऊर्जा से परिपूर्ण महसूस करता है। उन्होंने बताया कि सतगुरु ओशो ने समग्रता पर विस्तार से समझाया है।

संत ओशो ने कहा कि है कि मनुष्य के मन के साथ मुश्किल यही है कि वह हमेशा आंशिक होता है। एक हिस्सा सुन रहा होता है और बाकी शायद कहीं और होता है। उसमें एक विभाजन पैदा होता है और इस विभाजन से ऊर्जा का अपव्यय होता है। संत ओशो ने समझाया है कि इसलिए जब कुछ भी करो तो उसमें पूरे प्राण डाल दो। जब मनुष्य कुछ भी नहीं बचाता, यहां तक कि छोटा सा हिस्सा भी, तब मनुष्य समग्र हो सकता है।