काशी और मथुरा में भव्य मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई शोभायात्रा ।

अमेठी, 08 अप्रैल (हि.स.) । जिले के स्वामी परमहंस सेवाश्रम सगरा बाबूगंज के पीठाधीश्वर स्वामी अभय चैतन्य मौनी जी महाराज के नेतृत्व में दोपहिया और चार पहिया वाहनों के साथ निकाली गई यह भव्य शोभायात्रा स्वामी परमहंस सेवा आश्रम सगरा बाबूगंज से निकलकर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए जनपद मुख्यालय गौरीगंज स्थित श्री राम जानकी मंदिर मीरा चौराहा तक पहुंचकर समाप्त हुई। जहां पर नवरात्र के पूरे 9 दिन श्रीधाम अयोध्या की ही भांति काशी और मथुरा में भव्य मंदिर निर्माण हेतु 1 लाख 51 हज़ार कुंडीय दीप महायज्ञ के साथ-साथ संत सम्मेलन एवं नित्य अखंड भंडारे का आयोजन किया गया है।

यह कार्यक्रम 9 अप्रैल से प्रारंभ होकर 17 अप्रैल 2024 तक चलेगा। जिसमें महा नवरात्रि के नौ महासंकल्प रखे गए हैं। जिसमें प्रतिदिन का अलग-अलग संकल्प है। पहले दिन का संकल्प गौ हत्या बंद हो और भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हो। दूसरे दिन का संकल्प है कि पतित पावनी मां गंगा के अविरल प्रवाह को लेकर धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे। तीसरे दिन का संकल्प श्रीधाम अयोध्या की भांति काशी एवं मथुरा में भव्य मंदिर का निर्माण के संबंध में रखा गया है। जबकि चौथे दिन का संकल्प वंदे मातरम का ससम्मान गायन को लेकर रखा गया है। पांचवें दिन का संकल्प भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, आतंकवाद और अराजकता के विनाश हेतु है। छठे दिन का संकल्प राष्ट्रभक्त, राम भक्त, गौ भक्त, गंगा भक्त, मातृ– पितृ भक्त, पुत्र–पुत्री के कल्याण हेतु निश्चित किया गया है। सातवें दिन राष्ट्र रक्षा और धर्म रक्षा के साथ ही साथ हिंदू जनसंख्या के विस्तार हेतु निश्चित किया गया है। जबकि आठवें दिन के संकल्प के तहत राज पद राज्यसभा लोकसभा विधानसभा विधान परिषद कार्यपालिका न्यायपालिका प्रशासनिक सेवा में उद्योग जगत में हिंदुओं के साम्राज्य स्थापित करने के लिए हवन पूजन आदि होने हैं। नवरात्र के अंतिम दिन अर्थात 9 वें दिन बुद्धि, बल, विद्या, संस्कार, चरित्र, आदर्श, सेवा और श्रद्धा युक्त हिंदू समाज के उत्थान हेतु धार्मिक कार्य संपादित किए जाएंगे।

इस प्रकार के कार्यक्रम स्वामी परमहंस सेवा आश्रम सगरा बाबूगंज के पीठाधीश्वर अभय चैतन्य मौनी जी महाराज द्वारा पिछले 38 वर्षों से अनवरत किया जा रहा है। जिसमें महाराज जी ने स्थानीय, क्षेत्रीय के साथ-साथ देश और प्रदेश के लोगों से आह्वान किया है कि लोग ऐसे कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए अपनी भागीदारी सुनिश्चित अवश्य करते हुए प्रसाद ग्रहण करें।