हिसार : पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का नारनौंद हलके में भारी विरोध, दिखाए काले झंडे

हिसार, 5 अप्रैल (हि.स.)। पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का नारनौंद हलके के गांवों में भारी विरोध हुआ। उन्होंने एक स्थान पर विरोध करने वालों से बहस करके उन्हें दबाने का प्रयास भी किया लेकिन जब लोग नहीं माने तो दूसरी गाड़ी में बैठकर निकलने में ही भलाई समझी।

दुष्यंत चौटाला शुक्रवार को नारनौंद हलके के गांवों के दौरे पर थे। इस दौरान गांव नाड़ा व गामड़ा के ग्रामीणों ने उनका जमकर विरोध किया। गांव नाड़ा में किसान विरोध करते हुए उनकी गाड़ी के आगे बैठ गए तो दुष्यंत चौटाला गाड़ी से उतरकर पैदल ही गांव में पहुंचे। इस दौरान ग्रामीणों ने उनसे सवाल पूछे कि जब आप सत्ता में थे तो प्रदेश के किसानों को दिल्ली जाने से क्यों रोका गया, किसानों की जो मांगें थी उनको अनदेखा करके सत्ता के मोह में भाजपा सरकार का साथ देते रहे, इसका खामियाजना भुगतना पड़ेगा। ग्रामीण बोले कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भाजपा व जजपा का पूरी तरह से विरोध किया जाएगा और इनके उम्मीदवारों को गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा।

एक बार तो दुष्यंत चौटाला ने विरोध करने वालों से बहस करनी शुरू कर दी। उन्होंने विरोध करने वालों को दबाने का प्रयास भी किया लेकिन बात नहीं बनी तो दुष्यंत चौटाला दूसरी गाड़ी में बैठकर गांव गामड़ा के कार्यक्रम के लिए रवाना हो गए। जैसे ही वो गांव गामड़ा पहुंचे तो पहले से ही तैयारी में बैठे गांव गामड़ा के ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया और चेतावनी दी कि भाजपा को यमुना पार करने वाले सत्ता के लालच में उनकी गोद में बैठे रहे। जब भाजपा ने उनको बाहर का रास्ता दिखाया तो आज उनको गांव के भोले भाले लोगों की याद आई। आज किसान जागरूक हो चुका है और वो अपने हकों की लड़ाई लड़ने के लिए पूरी मजबूती के साथ आंदोलन करेगा। जो पार्टी उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी, उन पार्टियों के प्रत्याशियों का विरोध करते हुए उन्हें गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा।

किसानों ने बताया कि वो एमएसपी की मांग पर दिल्ली में आंदोलन करना चाह रहे थे। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने प्रदेश की सीमाओं पर कंटीली तारें व दीवारेंं बनाकर एक ही देश में रहने वाले लोगों के लिए बार्डर बना दिए ताकि देश व प्रदेश के किसान दिल्ली में ना घुस सकें। उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर बॉर्डर बनाए थे और अब किसान इन दोनों पार्टियों के नेताओं के लिए गांव गांव की सीमाओं में बॉर्डर बनाकर बैठेंगे और इन्हें गांव में घुसने से रोकेंगे।