17 लाख छात्रों को फायदा, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड पर हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट समाचार : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 25 हजार मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला मदरसा संचालकों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया? 

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसा एक्ट को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में तीन जजों की बेंच ने केंद्र सरकार और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अब इस मामले में 30 जून 2024 तक जवाब दाखिल करना होगा. 

हाई कोर्ट के फैसले को अनुचित माना गया! 

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा कि मदरसा बोर्ड का उद्देश्य निदेशक है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय का यह कहना प्रथम दृष्टया सही नहीं है कि मदरसा शिक्षा बोर्ड का गठन धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध है। बता दें कि पिछले हफ्ते ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार को मदरसा छात्रों को सामान्य स्कूलों में ट्रांसफर कर उनका नामांकन कराने का आदेश दिया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह भी माना कि सरकार के पास धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड गठित करने की शक्ति नहीं है। इसके अलावा, सरकार स्कूली शिक्षा के लिए किसी बोर्ड का गठन नहीं कर सकती जिसके तहत किसी विशेष धर्म और उसके मूल्यों की शिक्षा दी जाती है। हाई कोर्ट के इस फैसले को मदरसा अजीजिया इजाजतुल उलूम के प्रबंधक अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 

मदरसा बोर्ड की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की 

यूपी मदरसा बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट को इस कानून को रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है। इस फैसले से राज्य में संचालित 25000 मदरसों में पढ़ने वाले 1.7 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं. 2018 में यूपी सरकार के आदेश के मुताबिक इस मदरसे में विज्ञान, पर्यावरण, मैथ यानी गणित जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं.