सिन्दूर उपाय: हिंदू धर्म में महिलाओं के सोलह श्रृंगार का उल्लेख किया गया है। इन्हीं 16 सौंदर्य प्रसाधनों में से एक है सिन्दूर भी। सुहागिन स्त्रियों को सिन्दूर अवश्य लगाना चाहिए। सनातन धर्म में विवाह तभी संपन्न होता है जब दूल्हा दुल्हन की मांग में सिन्दूर लगा देता है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी सिन्दूर का विशेष महत्व है।
हाल ही के एक मामले में कोर्ट ने यह भी माना कि शादी के बाद सिन्दूर लगाना पत्नी का धार्मिक कर्तव्य है। इस मामले में कोर्ट ने यह भी कहा कि सिन्दूर महिला के सुहाग की निशानी है और अगर कोई महिला शादी के बाद सिन्दूर नहीं लगाती है तो यह क्रूरता के समान है.
सिन्दूर लगाने का आध्यात्मिक महत्व
रामायण काल से ही सिन्दूर का महत्व रहा है। एक प्रसंग के अनुसार माता सीता श्रृंगार करते समय सिन्दूर का प्रयोग करती थीं। उसे देखकर हनुमानजी ने उससे पूछा कि वह सिन्दूर क्यों लगा रहा है। तब उसने कहा कि सिन्दूर लगाने से पति की उम्र बढ़ती है। तब हनुमानजी ने श्रीराम को प्रसन्न करने और उनकी आयु बढ़ाने के लिए अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लिया। तभी से हनुमानजी को सिन्दूर चढ़ाने की प्रथा भी शुरू हो गई।
सिन्दूर लगाने से पहले ये करें
धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव को सिन्दूर लगाती थीं.. इसलिए माता पार्वती को भी सिन्दूर चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि सिन्दूर लगाने से पहले मां गौरी को अर्पित करना चाहिए। मां गौरी को सिन्दूर लगाने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
सिन्दूर लगाने का सही तरीका
धार्मिक मान्यता के अनुसार जो स्त्री सेठ में लंबा सिन्दूर लगाती है, उसे अपने पति के समान मान-सम्मान और सौभाग्य प्राप्त होता है। सिन्दूर हमेशा नाक पर लगाना चाहिए।