एक गिरफ्तारी से दिग्गज पार्टी का भविष्य ‘अंधकार’, विधायक-सांसद लगा रहे पार्टी छोड़ने का दांव

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लोकसभा चुनाव 2024 : राजनीति में कब क्या हो जाए कोई नहीं कह सकता. कई पार्टियों के लिए अस्तित्व बचाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसा ही एक मामला हाल ही में पिछले चार महीनों में भारत के एक राज्य में देखने को मिला है। पिछले 10 वर्षों तक तेलंगाना पर शासन करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) हाल के दिनों में टूटने की कगार पर नजर आ रही है। एक-एक कर विधायक और सांसद पार्टी छोड़ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि नवंबर 2023 तक राज्य की सत्ता पर काबिज पार्टी महज चार महीने बाद ही लोकसभा चुनाव में नंबर एक से नंबर तीन पर पहुंच गई नजर आ रही है. इस समय राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. 

पार्टी शीर्ष स्थान से खिसक कर तीसरे स्थान पर पहुंच गयी… 

वर्तमान में बीआरएस प्रदेश में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। 30 नवंबर 2023 को हुए विधानसभा चुनाव में 37.35 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रही और 39.40 फीसदी वोट शेयर के साथ कांग्रेस पहले स्थान पर रही. विधानसभा चुनाव में भाजपा को केवल 13.90 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन जब से केसीआर की विधायक बेटी के. कविता को दिल्ली शराब नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है, तब से पार्टी की लोकप्रियता का ग्राफ अचानक गिर गया है। 

2019 लोकसभा चुनाव में क्या थी स्थिति? 

2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की कुल 17 सीटों में से बीआरएस (तब टीआरएस-तेलंगाना राष्ट्र समिति) ने 9 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने चार और कांग्रेस ने तीन सीटें जीतीं। AIMIM प्रमुख औवेसी ने भी जीत हासिल की और अपनी हैदराबाद सीट बरकरार रखी, लेकिन पांच साल बाद यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में सारे गणित और समीकरण उलट गए हैं.

बीजेपी ने अपने आधे से ज्यादा उम्मीदवार बीआरएस से आए नेताओं को मैदान में उतारे 

वर्तमान में तेलंगाना में भाजपा के आधे से अधिक उम्मीदवार बीआरएस से हैं और उनमें से अधिकांश ने इस महीने दल बदल लिया है। इसी महीने 15 मार्च को ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को गिरफ्तार किया था. इसके बाद खेल शुरू हुआ. राज्य में 13 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले न केवल बीआरएस नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं, बल्कि कई ने कांग्रेस से भी हाथ मिला लिया है। इनमें सबसे बड़ा नाम चेवेला से बीआरएस सांसद रंजीत रेड्डी का है, जिन्हें कांग्रेस ने फिर से उसी लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है।

कांग्रेस में शामिल हुए दिग्गज 

इसी तरह, हैदराबाद के खैरताबाद विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक दानम नागेंद्र ने भी पार्टी बदल ली है और कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार बन गए हैं। पार्टी ने उन्हें केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के खिलाफ सिकंदराबाद लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। इतना ही नहीं, विकाराबाद जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष और पूर्व बीआरएस नेता सुनीता महेंद्र रेड्डी अब कांग्रेस के टिकट पर मल्काजगिरी से चुनाव लड़ रही हैं। बीआरएस के पेद्दापल्ली सांसद वेंकटेश नेता कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और अपनी उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। वारंगल से बीआरएस सांसद पसुनुरी दयाकर ने भी लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद पार्टी छोड़ दी है।

एक समय उन्होंने तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की थी और पीएम बनने का सपना भी देखा था. 

आपको बता दें कि 2022 और 2023 के कई महीनों तक चंद्रशेखर राव विपक्षी ताकतों को एकजुट करने और खुद को पीएम से सीएम बनाने की मुहिम में व्यस्त दिखे. इसी उद्देश्य से उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति भारत राष्ट्र समिति का गठन किया ताकि इसे राष्ट्रीय स्वरूप और दर्जा देने का प्रयास सार्थक हो सके। इसके अलावा उन्होंने गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के साथ तीसरा मोर्चा बनाने की भी कोशिश की और लगातार प्रधानमंत्री मोदी पर हमले किए लेकिन सब नाकाम रहे.