भरूच: ‘सड़क नहीं बनी मनसुख..!’ आदिवासी युवाओं ने गाना गाकर बीजेपी प्रत्याशी को हकीकत से अवगत कराया

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भरूच: आदिवासियों के बीच होली का त्योहार दिवाली से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले होली के मौके पर आदिवासी बोली में गाया गया एक गाना वायरल हो रहा है. जिसमें घेरैया आदिवासियों के हाथों में गूजरी बजाते हुए छह बार के बीजेपी सांसद और 7वीं बार के उम्मीदवार मनसुख वसावा को विकास की हकीकत बताते हैं.

भरूच लोकसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के आदिवासी उम्मीदवार आदिवासियों के बीच अनोखे अंदाज में विकास की हकीकत दिखा रहे हैं. ऐसे में त्रिकम मारी का रास्ता तीन साल पहले 6 बार के बीजेपी सांसद और 7 बार के बीजेपी उम्मीदवार मनसुख वसावा ने साफ कर दिया था. जो सड़क अभी तक नहीं बनी है, उस पर घेरैया आदिवासियों ने हाथों में गुजरी बजाकर और आदिवासी गीत गाकर एक संदेश दिया है.

मनसुख वसावा की याद दिलाते हुए गीत में आदिवासी कह रहे हैं, ”त्रिकम मारी रे गया, तिन तिन वराह वितीजी ये, रोड न बनिया रे मनसुख गे, जबरे याद करते ये, वाला वाला आवाज रे” ने विकास की समृद्ध हकीकत को उजागर कर दिया है।