नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिना सुनवाई के आरोपियों को लंबे समय तक हिरासत में रखने पर केंद्रीय एजेंसी ईडी को फटकार लगाई है. झारखंड के प्रेम प्रकाश की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन बार चार्जशीट दाखिल करने के बावजूद ईडी इस मामले की जांच कर रही है. बिना ट्रायल के किसी भी आरोपी को लंबे समय तक ट्रायल पर कैसे रखा जा सकता है?
कोर्ट ने ईडी से कहा कि इस तरह की प्रथा सही नहीं है, किसी भी आरोपी को बार-बार आरोप पत्र दायर करके इस तरह हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. इस मामले में आरोपी प्रेम प्रकाश 18 महीने से जेल में हैं. जब आप किसी को गिरफ्तार करते हैं तो उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू करना जरूरी है। ईडी ने अगस्त 2022 में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को रांची से गिरफ्तार किया था। प्रेम प्रकाश के घर से कुछ हथियार जब्त किये गये थे, जिसमें एक एके-47 राइफल भी शामिल थी. ईडी प्रेम प्रकाश के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा चला रही है.
ईडी ने चार अतिरिक्त आरोपपत्र दायर किए थे, हालांकि आगे की जांच के लिए समय मांगा था। प्रेम प्रकाश 18 महीने से जेल में हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी. इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को फटकार लगाई. ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने बताया कि कानून के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. इस मामले की सुनवाई अभी शुरू भी नहीं हुई और आपने आरोपी को इतने लंबे समय तक जेल में रखा. बार-बार आरोप पत्र की सुनवाई में देरी हो रही है। डोफिल्ट जमानत एक व्यक्ति का अधिकार है, जिसे आप आरोप पत्र के आधार पर अस्वीकार नहीं कर सकते। ये बात हम दिल्ली के मनीष सिसौदिया मामले में भी कह चुके हैं. बाद में ईडी ने इस मामले पर जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा. इस मामले में 29 अप्रैल को आगे सुनवाई होगी.