भगवान शिव सभी प्राणियों के लिए प्रिय एवं पूजनीय, इसलिए कहलाए आशुतोषः पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर, 8 मार्च (हि.स.)। सफलता और संतोष दो अलग-अलग चीजें है। आप अपनी मेहनत से सफलता तो प्राप्त कर सकते हैं लेकिन संतोष प्राप्त करने के लिए आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। भगवान भोले की भक्ति करने के बाद भी आपको सफलता प्राप्त होगी। आशुतोष का अर्थ शीघ्र प्रसन्न होने वाला होता है। देवों के साथ सभी दानवों ने भी भगवान शिव की स्तुति की है, सभी युगों में दानवों ने कभी भगवान शिव से दुश्मनी नहीं की न ही भगवान शिव ने दानवों सहित किसी प्राणी के साथ कभी विपरीत भाव रखा। इसलिए भगवान शिव सभी प्राणियों के लिए प्रिय एवं पूजनीय हैं, इसीलिए भगवान शिव आशुतोष कहलाए।

यह विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को शिव महापुराण में शामिल हुए लाखों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यक्त किए। कथा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश के खेल मंत्री विश्वास सारंग, विधायक सुदेश राय, नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर आदि जनप्रतिनिधि भी पहुंचे और गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा का आशीर्वाद लिया।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा सुनाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति भगवान शिव के आशुतोष स्वरूप का स्मरण कर भगवान शिव की अर्चना करता है तो उस व्यक्ति के सारे मन के द्वेष समाप्त हो जाते हैं। आज जगत के सभी प्राणियों को भी भगवान शिव के आशुतोष स्वरूप का अनुसरण करना चाहिए। जीवन में जब उलझन पैदा हो रही हो, जीवन मिलने के बाद भी उलझनों में वृद्धि हो रही हो तो मनुष्य को भगवान शिव के आशुतोष नाम का उच्चारण एवं स्मरण करना चाहिए। हर मनुष्य को भगवान को उनके स्वरूप को अपने दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। अपने व्यवसाय, दिनचर्या में जब सेवा एवं सहयोग को जोड़ देंगे तो भगवान शिव जो आपको देंगे उसकी कल्पना आप नहीं कर पाएंगे। आज शिव की दयालुता के कारण यह संसार शिवमय हो गया है। अब तो विदेशों में भी भगवान के मंदिरों का तेजी से निर्माण हो रहा है। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने विदेश जाकर भगवान के मंदिर पहुंचकर स्थापना की थी।

पंडित मिश्रा ने महाशिवरात्रि के महत्व का वर्णन करते हुए शिकारी और अन्य पुराणों में वर्णित विचारों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने भगवान शंकर की शिवरात्रि का महत्व बताते हुए कहा कि आशु का अर्थ होता है शीघ्र और तोश का अर्थ होता है तुष्ट होने वाला, प्रसन्न होने वाला। भगवान अपने भक्तों की प्रार्थना से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उन्हें आशुतोष कहा जाता है। वे मात्र जल से अभिषेक कर देने से ही तुष्ट हो जाते हैं, अधिक कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।

रुद्राक्ष महोत्सव में दूसरे दिन महाशिवरात्रि के मौके पर आस्था का सैलाब देखने को मिला। इस दौरान छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कुबेरेश्वर धाम पहुंचकर शिव पुराण की कथा का श्रवण किया। यहां आस्थावान श्रद्धालु लाखों की संख्या में पंडाल में दो दिन पहले से ही डेरा जमाए हुए हैं। पंडाल समय से पहले ही पैक हो गए हैं। लोगों ने धूप में छतरी और साड़ी डालकर कथा सुनी। 50 एकड़ के ग्राउंड में श्रद्धालु जमे हुए है।

विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि इस बार पिछले वर्ष से दुगनी संख्या में श्रद्धालु भगवान शंकर की पवित्र शिव महापुराण की कथा का श्रवण करने के लिए कुबेरेश्वरधाम पर पहुंचे है। इस वर्ष समिति, क्षेत्रवासियों और जिला प्रशासन की सक्रियता के कारण हाईवे आदि पर जाम नहीं लग रहा है। आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सहायता केन्द्र, स्वास्थ्य के शिविरों के अलावा अनेक स्थानों पर पेयजल, भोजन की व्यवस्था की गई है।

इधर पनीर फैक्टरी के संचालक राजेन्द्र प्रसाद मोदी, किशन मोदी और प्रबंधक डीसी बघेल की टीम ने यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठंडाई का वितरण किया जा रहा है। करीब 12 हजार लीटर से अधिक छाछ आदि का वितरण किया जा रहा है। आगे भी यह क्रम जारी रहेगा। इसके अलावा समिति ने अनेक स्थानों पर भोजन-पेयजल की व्यवस्था की है।