देहरादून, 07 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री ने अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रदेश वासियों के साथ विशेष रूप से मातृ शक्ति को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महिला शक्ति राष्ट्र शक्ति है। मातृ शक्ति के सहयोग के बिना किसी भी समाज अथवा राष्ट्र का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारत वर्ष में अनादिकाल से महिलाओं की शक्ति के रूप में पूजा की जाती रही है, महिला समाज की मार्ग दर्शक के साथ ही प्रेरणा का स्त्रोत भी है। नारी को हमारे शास्त्रों में महिलाओं के सम्मान में कहा गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता यानि जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है। महिलाओं के बेहतर भविष्य के लिए उनका वर्तमान संवारने के लिए राज्य सरकार की ओर से कारगर प्रयास किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आठ मार्च का दिन दुनिया की आधी आबादी के नाम समर्पित है। यह दिन समाज के उस बडे़ हिस्से के लिए महत्वपूर्ण है जिसके बिना संसार की कल्पना अधूरी रह जाती है। हमारी सरकार मातृ शक्ति के उत्थान को समर्पित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में सरकार द्वारा महिलाओं के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित किये जा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा जल जीवन मिशन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्जवला योजना समेत अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उसी दिशा में राज्य सरकार भी महिलाओं के हितों में अनेक योजनाएं संचालित कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है ताकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस राज्य में महिलाओं को बराबरी के अवसर प्राप्त हो सके। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, लखपति दीदी योजना, मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक मेधावी योजना, नंदा गौरा मातृवंदना योजना और महिला पोषण अभियान जैसी योजनाएं प्रारंभ की हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को विधानसभा में पारित कर जनता से किया वादा पूरा किया है। यह महिलाओं के सम्मान से जुड़ा कानून भी हैं। समान नागरिक संहिता किसी जाति, धर्म-समुदाय के लिए न होकर पूरे राज्यवासियों के हितों के लिए है। आज प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों तक गांव-गांव में महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर कुटीर उद्योगों के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर रही हैं। महिलाओं के पास कौशल की कभी कोई कमी नहीं रही और अब यही कौशल उनकी आर्थिकी को मजबूती प्रदान कर रहा है।