मेडिकल कॉलेज की मान्यता प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एनएमसी जल्द जारी करेगा पोर्टल

नई दिल्ली, 07 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) मेडिकल कॉलेज की मान्यता प्रक्रिया को आसान और पेपर लेस बनाने के लिए जल्दी ही पोर्टल की शुरुआत करने जा रहा है। इस पोर्टल के माध्यम से मेडिकल कॉलेज अनिवार्य जानकारी और डेटा पोर्टल पर डाल सकेंगे। पोर्टल में डाली गई जानकारी को आयोग आम जनता के लिए वेबसाइट पर जारी करेगा ताकि पारदर्शिता बढ़ाई जा सके। इस पोर्टल में डाली गई जानकारी गलत पाए जाने पर आयोग मेडिकल कॉलेज पर जुर्माना या पांच शैक्षणिक वर्षों के लिए उसकी मान्यता रोक सकता है और वापस भी ले सकता है।

गुरुवार को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग परिसर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आयोग के अध्यक्ष डॉ. बी एन गंगाधर ने बताया कि पेपरलेस कार्यशैली को बढ़ावा देने के मकसद से लाए जाने वाले एनएमसी पोर्टल से न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भौतिक निरीक्षण के काम में भी कमी आएगी। मेडिकल कॉलेज को हर साल अपने फैकल्टी की संख्या, सुविधाओं, छात्रों, मेडिकल सीट जैसी महत्वपूर्ण जानकारी आयोग को जमा करानी पड़ती है। जिसके मूल्यांकन और निरीक्षण के बाद उनकी मान्यता को जारी रखने, सीटें कम या ज्यादा करने जैसा फैसला लिया जाता है।

फैकल्टी सदस्यों के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली पर जल्द जारी होगा पोर्टल

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग मेडिकल कॉलेजों में ‘घोस्ट फैकल्टी’ को खत्म करने के प्रयासों के तहत फैकल्टी सदस्यों के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली के लिए जल्दी ही एक पोर्टल जारी करने जा रहा है। इससे मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की उपस्थिति को सुनिश्चित किया जा सकेगा। आयोग के सचिव बी. श्रीनिवास बताया कि इस पोर्टल की मदद से मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के साथ-साथ भौतिक निरीक्षण की आवश्यकता को भी नगण्य कर सकेंगे। इस पोर्टल में पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिलेगा। इस बायोमेट्रिक पोर्टल से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। इस पोर्टल से विश्व में हम एक डिजिटल उदय का उदाहरण पेश कर सकते हैं। नये नियमों के तहत फैकल्टी को 75 फीसदी उपस्थिति दर्ज करानी होती है। लेकिन कई कॉलेजों के एक मूल्यांकन में पता चला था कि कॉलेजों में फैकल्टी 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा करने में भी विफल रहे हैं।

आयोग ने सीट बॉन्ड को खत्म करने की सिफारिश की

मेडिकल के छात्र अगर बीच में कॉलेज छोड़ने पर उनसे वसूले जा रहे जुर्माना राशि पर एनएमसी के तहत अंडर ग्रैजुएट एजुकेशन बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. अरुणा वी वणिकर ने कहा कि आयोग ने रेजिडेंट डॉक्टरों पर मानसिक दबाव कम करने के लिए सीट छोड़ने पर जुर्माने की व्यवस्था (सीट बॉन्ड) को खत्म करने की सिफारिश की है। राज्यों को कहा गया है कि इस नीति को खत्म किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसी कई शिकायतें मिली जिसमें सीट छोड़ने पर छात्रों से मोटी रकम वसूली जा रही है। इसीके मद्देनजर राज्यों को कहा गया है कि इस नियम को बदलें और छात्रों के हितों को अनदेखा न करें।

आयोग के आंकड़ों के अनुसार साल 2018-22 तक अंडर ग्रैजुएट मेडिकल क़ॉलेज में 150 छात्रों ने पढ़ाई बीच में छोड़ी जबकि पोस्ट ग्रैजुएट में यह संख्या 1113 है। आयोग के एंटी रैगिंग सेल के अनुसार 700 कॉलेज में से 500 कॉलेज से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार साल 2018-2022 तक कुल 112 मेडिकल छात्रों ने खुदकुशी की जिसमें यूजी वाले छात्रों की संख्या 64 हैं और पीजी वाले छात्रों की संख्या 58 है।