शिवपुरी, 7 मार्च (हि.स.)। विधानसभा चुनाव के समय टिकट के लालच में जो सिंधिया समर्थक नेता भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए थे अब वह वापस भाजपा में लौटने लगे हैं। इसी क्रम में पूर्व सिंधिया समर्थक और कोलारस विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे बैजनाथ यादव ने कांग्रेस छोड़ दी है। बैजनाथ यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष कांंग्रेस छोड़कर भाजपा का थामन थाम लिया। बैजनाथ सिंह यादव पूर्व में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस में हुआ करते थे तो वह कांग्रेस के शिवपुरी जिला अध्यक्ष थे लेकिन बाद में सिंधिया के साथ भाजपा में आ गए। भाजपा में उनका मन नहीं लगा और बाद में विधानसभा चुनाव से पहले कोलारस से टिकट के लिए वह कांग्रेस में चले गए। कोलारस में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया लेकिन वह 50 हजार मतों से हार गए। इस हार के बाद वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए हैं।
टिकट के लिए गया था कांग्रेस में-
भाजपा जिला कार्यालय शिवपुरी पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष उन्होंने पुन: भाजपा में शामिल होने की घोषणा की। भाजपा में आने के बाद बैजनाथ सिंह यादव ने कहा कि टिकट के कारण कांग्रेस में चले गए थे लेकिन अब वह दोबारा से भाजपा में आ गए हैं क्योंकि उनके ज्योतिरादित्य सिंधिया से पारिवारिक संबंध हैं और आत्मीय संबंध हैं। इन्हीं संबंधों के कारण वह दोबारा से भाजपा में आए हैं । गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा किए जाने के कारण अब वह लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया का काम करेंगे और उन्हें जिताने के लिए पूरी मेहनत से जुट जाएंगे। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले बैजनाथ सिंह यादव ने बताया कि उन्हें कोलारस से चुनाव लड़ना था और कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया था लेकिन किसी कारण से वह हार गए लेकिन अब मैं दोबारा से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ काम करना चाहता हूं। मैं अपने परिवारजन और अन्य रिश्तेदारों के दबाव के चलते पूर्व में कोलारस से टिकट की चाहत में भाजपा छोड़ गया था और मैं चुनाव लड़ा, लेकिन किसी कारणवश हार गया। अब मैं दोबारा से भाजपा में आ गया हूं और अब लोकसभा चुनाव में सिंधिया जी का ही काम करूंगा।
महाराज से पारिवारिक संबंध हैं –
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए बैजनाथ सिंह यादव ने बताया कि उनके ज्योतिरादित्य सिंधिया (महाराज) से पारिवारिक संबंध हैं, इन आत्मीय संबंधों के कारण ही वह दोबारा से भाजपा में लौटे हैं। पूर्व में जब उन्होंने भाजपा छोड़ी थी तो उन्होंने कभी भी सिंधिया को निशाने पर नहीं लिया था और ना उनके बारे में कुछ कहा था। केवल मुझे चुनाव लड़ना था पारिवारिक दबाव था टिकट के लिए इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ी थी।