नई दिल्ली, 06 मार्च (हि.स.)। भारतीय नौसेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लक्षद्वीप द्वीपों में अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाते हुए मिनिकॉय द्वीप पर बुधवार को आईएनएस जटायु तैनात कर दिया है। इससे भारत को क्षेत्र में विरोधियों की सैन्य और वाणिज्यिक गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी। हिंद महासागर क्षेत्र में नजर बनाए रखने के लिए बनाया गया यह नया बेस अरब सागर में मालदीव से सिर्फ 507 किलोमीटर दूर है, इसलिए न केवल भारतीय समुद्री वाणिज्य सुरक्षित होगा बल्कि बुनियादी ढांचे का उन्नयन भी होगा। इस कदम से केरल के पश्चिम में 400 किमी दूर स्थित द्वीप श्रृंखला में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने एक समारोह में लक्षद्वीप के सबसे दक्षिणी द्वीप मिनिकॉय में नए बेस की शुरुआत की। कमीशनिंग समारोह में नौसेना प्रमुख को 50 पुरुषों का गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। जटायु को कमांडेंट व्रत बघेल की कमान के तहत कमीशन किया गया है। यूनिट के पहले कमांडिंग ऑफिसर कमांडर व्रत बघेल ने संस्कृत में मंगलाचरण का पाठ किया और उसके बाद कमीशनिंग वारंट का वाचन किया। कमीशनिंग पट्टिका के अनावरण के बाद राष्ट्रगान की धुन पर नौसेना ध्वज फहराया गया। कमीशनिंग समारोह के पूरा होने पर मिनिकॉय में समुद्री संचालन केंद्र का उद्घाटन किया गया। नौसेना प्रमुख ने यूनिट के अधिकारियों और जवानों से बातचीत की और इस महत्वपूर्ण अवसर पर उनकी सराहना की।
आईएनएस जटायु के जलावतरण के बाद मिनिकॉय में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि इस यूनिट का नाम महाकाव्य रामायण के उस पौराणिक प्राणी के नाम पर रखा गया है, जिसने सीता के अपहरण को रोकने की कोशिश की थी। रामायण में जटायु ‘प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता’ थे, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर सेवा की मिसाल पेश की थी। एडमिरल कुमार ने कहा कि इस इकाई का नाम जटायु रखा जाना सुरक्षा, निगरानी और निस्वार्थ सेवा प्रदान करने की इस भावना की एक उपयुक्त पहचान है। उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप द्वीपों के भीतर भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही पश्चिमी अरब सागर में समुद्री डकैती और मादक द्रव्य विरोधी अभियानों में भारतीय नौसेना को ऑपरेशन चलाने में मदद मिलेगी।
नौसेना प्रमुख ने कहा कि जटायु ने भगवान राम को जो जानकारी दी, उसने महत्वपूर्ण स्थितिजन्य जागरुकता प्रदान की, जिससे सफल खोज हुई। इसी तरह हम उम्मीद करते हैं कि यह इकाई पूरे क्षेत्र में अच्छी समुद्री डोमेन जागरुकता बनाए रखने के लिए भारतीय नौसेना को स्थितिजन्य जागरुकता प्रदान करेगी। अंडमान के पूर्व में आईएनएस बाज और अब पश्चिम में आईएनएस जटायु हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए नौसेना के लिए आंख और कान के रूप में काम करेंगे। मिनिकॉय लक्षद्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है, जो संचार की महत्वपूर्ण समुद्री लाइनों तक फैला हुआ है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक घटनाक्रम के बीच बढ़ी हुई निगरानी की तत्काल आवश्यकता को पहचानना महत्वपूर्ण है, जो भारत के लिए लक्षद्वीप के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री आतंक, अपराध और समुद्री डकैती में वृद्धि देखी जा रही है। हाल की घटनाओं में भारतीय नौसेना ने पश्चिम और उत्तर अरब सागर में दृढ़तापूर्वक जवाब दिया है और क्षेत्र में व्यापारिक यातायात की सुरक्षा के लिए ड्रोन रोधी, मिसाइल रोधी और समुद्री डकैती रोधी अभियान चलाया है। कवरत्ती में आईएनएस द्वीपरक्षक के बाद आईएनएस जटायु लक्षद्वीप में दूसरा नौसैनिक अड्डा है।
मुख्य अतिथि के तौर पर लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने कहा कि मिनिकॉय में एक हवाई पट्टी की मंजूरी अंतिम चरण में है और लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती में 24 घंटे परिचालन हेलीकॉप्टर हैंगर जल्द ही शुरू हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय वायु सेना के लिए लक्षद्वीप में रडार बेस स्थापित करने के लिए भूमि आवंटित की गई है। दक्षिणी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल वी श्रीनिवास और पश्चिमी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल संजय जे सिंह ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। आईएनएस जटायु नौसेना प्रभारी अधिकारी (लक्षद्वीप), दक्षिणी नौसेना कमान के परिचालन नियंत्रण में कार्य करेगा।
लक्षद्वीप के प्रभारी नौसेना अधिकारी कैप्टन लवकेश ठाकुर ने कहा कि पारंपरिक व्यापार मार्गों पर स्थित द्वीप रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। रणनीतिक स्थान के कारण विशेष रूप से मिनिकॉय द्वीप शिपिंग की जानकारी इकट्ठा करने का एक स्थान है, इसलिए उन्नत निगरानी क्षमताओं वाला जटायु बेस देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ठाकुर ने कहा कि यह मूल रूप से इकाइयों की बेहतर तैनाती के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड बनाने का शुरुआती बिंदु है। उन्होंने कहा कि मिनिकॉय में नौसेना बेस की स्थापना से द्वीपों के व्यापक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्य भूमि के साथ कनेक्टिविटी बढ़ेगी।