जोधपुर, 5 मार्च (हि.स.)। भारतीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संगठन एवं केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में सतत कृषि विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में चुनौतियां विषय पर तीन दिवसीय कान्फ्रेन्स काजरी में सम्पन्न हुई। कांफ्रेंस में देश के विभिन्न राज्यों के 250 वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं ने भाग लिया। जलवायु परिवर्तन के कारण शुष्क क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों, पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि के विकास में आने वाली चुनौतियों पर विशेषज्ञों ने तीन दिन विचार मंथन किया एवं समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक अनुशंसाएं की गई, जो कि नीति निर्धारकों को प्रेषित की जाएगी।
समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं काजरी निदेशक डॉ. ओपी यादव ने अपने संबोधन में कटिंग-एज तकनीकों के प्रगति के माध्यम से भविष्य की कृषि प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया। उन्होंने स्थायी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विज्ञान के सभी पहलुओं को समाहित करने की जरूरत पर जोर दिया। प्रतिभागियों में लगभग 50 प्रतिशत महिला शोधकर्ताओं की संख्या पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने चुनौतीपूर्ण कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। विभागाध्यक्ष डा. पी. सान्तरा एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. महेश कुमार ने भी कांफ्रेंस के विभिन्न महत्वपुर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की। सम्मेलन के संयोजक डॉ. विपिन चौधरी ने सभी सम्मानित वक्ताओं और प्रतिभागियों को उनके मूल्यवान योगदान के लिए धन्यवाद दिया। सम्मेलन में जलवायु-प्रतिरक्षी फसलों और पशुओं की किस्मों के लिए अनुसंधान और विकास के प्रयासों को प्राथमिकता, अभिनव यांत्रिकीकरण और ऊर्जा-कुशल प्रथाओं को समेकित करने की जरूरत बताई गई, ताकि उत्पादकता में वृद्धि हो सके और पर्यावरणीय प्रभाव कम हो सके। सम्मेलन ने किसानों और अनुसंधानकर्ताओं के बीच आपसी सहयोग पर जोर दिया गया, जो कि चुनौतीपूर्ण कृषि-पारिस्थितिकियों में स्थायी विकास के लिए परिवर्तनात्मक तकनीकों और नीतियों के अवलंबन में मदद कर सकते हैं।
इस दौरान बेस्ट पोस्टर अवार्ड पीएयू लुधियाना के डॉ. राकेश, डॉ. अंजली, किरण रानी तथा काजरी जोधपुर की डॉ. सुन्दर आंचरा, अमरजीत कुमार को प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डा. राजवन्त कौर कालिया ने किया तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक अर्चना वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।