बुखार होने पर 99% लोग लेते हैं पैरासिटामोल! CDSCO ने बताया फर्जी!

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बुखार, सिरदर्द से लेकर हल्के बदन दर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवा के तौर पर पैरासिटामोल लेना खतरे से खाली नहीं है। और सिर्फ यही दवा नहीं बल्कि 52 अन्य दवाएं भी इस सूची में शामिल हैं  

जून 2023 में भारत में पैरासिटामोल वाली दवाइयों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन आज भी यहाँ के ज़्यादातर घरों में फर्स्ट एड बॉक्स में ये दवा मिल जाती है। ये एक ऐसी दवा है जिस पर लोग आँख मूंद कर भरोसा करते हैं, यहाँ तक कि जो लोग पढ़ना-लिखना नहीं जानते वो भी इस दवा को आसानी से पहचान सकते हैं। आसान शब्दों में कहें तो पैरासिटामोल को सरदर्द, बदन दर्द, बुखार जैसी रोज़मर्रा की सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए रामबाण माना जाता है। लेकिन ये दवा आपको अंदर से खोखला कर रही है। 

हाल ही में  केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की एक रिपोर्ट  जारी हुई है जिसमें पैरासिटामोल समेत 53 दवाओं को NSQ का लेबल दिया गया है। इसका मतलब है कि इनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है, ये दवाएँ नकली हैं। इस अध्ययन के अनुसार भारत में बिकने वाली लगभग 25 प्रतिशत दवाएँ नकली हैं, जिन्हें नामी कंपनियों के लेबल की नकल करके नकली कंपनियाँ बाज़ार में बेच रही हैं।

असफल दवाओं की सूची

सीडीएससीओ की रिपोर्ट में शामिल दवाओं में सामान्य बुखार की दवा पैरासिटामोल, दर्द निवारक डिक्लोफेनाक, एंटीफंगल दवा फ्लूकोनाज़ोल, विटामिन डी सप्लीमेंट, बीपी और  मधुमेह की दवाएं और एसिड रिफ्लक्स की दवाएं शामिल हैं।

बाजार में नकली दवाइयां बिक रही हैं

ये सभी दवाइयां नामी कंपनियों के लेबल पर आती थीं। जब संबंधित कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने कहा कि लेबल पर जो बैच नंबर है, वह उनके द्वारा निर्मित नहीं है। इसका मतलब है कि कोई फर्जी कंपनी उनके नाम पर नकली दवाइयां बाजार में सप्लाई कर रही है। उद्योग संगठन एसोचैम की 2022 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, नकली दवाओं का कारोबार हर साल औसतन 33 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।

नकली दवाइयों की पहचान कैसे करें

नकली दवाइयां दिखने में असली जैसी ही होती हैं, लेकिन उनमें कुछ सामान्य गलतियां होती हैं, जैसे लेबलिंग में स्पेलिंग या ग्रामर की गलतियां। इसलिए दवा खरीदते समय हमेशा उसके लेबल को ध्यान से पढ़ें। इसके अलावा अगस्त 2023 के बाद बनी दवाइयों की पैकेजिंग पर बारकोड या क्यूआर कोड दिखने लगे हैं। स्कैन करते ही दवा के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है। नकली दवाइयों के बारकोड या क्यूआर कोड को स्कैन करने पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता।

इसे ध्यान में रखो

दवाइयाँ खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि उनकी सील सही हो और पैकेजिंग भी सही हो। विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोगों को हमेशा अच्छी दुकान से ही दवाइयाँ खरीदनी चाहिए। दवाई खाने से पहले हमेशा डॉक्टर से जाँच करवाएँ।