जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. जम्मू-कश्मीर में 6 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. तीन चरणों में चुनाव होंगे. चुनाव आयोग के आदेश पर सुरक्षा एजेंसियां जम्मू-कश्मीर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रही हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य में 95 हजार से ज्यादा कमांडो तैनात किए जा रहे हैं. चुनाव के दौरान चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रहेगी. कश्मीर क्षेत्र में अर्धसैनिक बलों की करीब 500 कंपनियां तैनात की जाएंगी. इसके अलावा 450 कंपनियां जम्मू क्षेत्र में तैनात की जाएंगी.
चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय की मदद से जम्मू-कश्मीर में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए एक विशेष रणनीति बनाई है।
आतंकी घटनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग के निर्देश पर केंद्रीय गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों ने फुलप्रूफ सुरक्षा की व्यवस्था की है. जम्मू-कश्मीर दोनों जगह करीब 95 हजार सैनिक तैनात किए जाएंगे. इसके साथ ही इलाके में पहले से तैनात अर्धसैनिक बलों की कंपनियों को भी रोका जाएगा. आपको बता दें कि अमरनाथ यात्रा के दौरान इस इलाके में अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती की गई थी. इसके साथ ही चुनाव के दौरान सुरक्षा के लिए चरणबद्ध तरीके से बाहर से 450 से ज्यादा अतिरिक्त कंपनियां जम्मू-कश्मीर भेजी जाएंगी.
जम्मू-कश्मीर में 6 साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे
जम्मू-कश्मीर में 6 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव आयोग की घोषणा के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. राज्य का चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि पिछले पांच सालों में कई बदलाव हुए हैं. जिसमें सबसे अहम है 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाना.
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे कई तरह की चर्चाएं भी शुरू हो रही हैं. क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कश्मीर और जम्मू क्षेत्र में सबसे बड़ी पार्टियां बनकर उभरेंगी? हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने घाटी की तीन में से दो सीटों पर जीत हासिल की, जबकि बीजेपी ने जम्मू की दोनों सीटों पर कब्जा कर लिया. यदि विधानसभा चुनावों में भी यही मतदान पैटर्न दोहराया जाता है, तो यह केंद्र शासित प्रदेश के भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य को आकार दे सकता है।