8वां वेतन आयोग: नई सरकार के गठन के बाद अब केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को साल की दूसरी छमाही के महंगाई भत्ते (डीए) का इंतजार है। इस बीच 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग भी उठने लगी है। इस संबंध में राष्ट्रीय परिषद ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को पत्र लिखकर सरकार से 8वें वेतन आयोग के गठन को प्राथमिकता देने की अपील की है।
8वें वेतन आयोग की जरूरत क्यों है?
राष्ट्रीय परिषद के गोपाल मिश्रा ने कहा कि कोविड-19 के बाद की महंगाई कोविड से पहले की तुलना में अधिक है। अगर हम 2016 से 2023 तक आवश्यक वस्तुओं और दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं के खुदरा मूल्यों की तुलना करें तो उनमें 80 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। 1 जुलाई 2023 तक हमें केवल लगभग 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) दिया गया। इसलिए वास्तविक मूल्य वृद्धि और कर्मचारियों, पेंशनभोगियों को दिए जाने वाले डीए के बीच अंतर है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार का राजस्व 2015 से 2023 तक दोगुना हो गया है, जो राजस्व संग्रह में बड़ी वृद्धि का संकेत देता है। इसलिए केंद्र सरकार के पास वर्ष 2016 की तुलना में अधिक भुगतान करने की क्षमता है।
इसका गठन हर 10 वर्ष में होता है
आपको बता दें कि सरकार हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन करती है। यह आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे, भत्ते और लाभों की समीक्षा करता है। यह महंगाई जैसे बाहरी कारकों को ध्यान में रखते हुए वेतन, भत्ते या लाभों में आवश्यक बदलाव का प्रस्ताव करता है। 28 फरवरी 2014 को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 7वें वेतन आयोग का गठन किया था। इस वेतन आयोग ने 19 नवंबर 2015 को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद 1 जनवरी 2016 से वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी गईं।
8वां वेतन आयोग कब लागू होगा?
अगर सरकार 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे देती है तो यह 1 जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकता है। इस वेतन आयोग को रिपोर्ट तैयार करने में करीब डेढ़ साल का समय लग सकता है। हालांकि सरकार ने अभी तक इसके गठन की घोषणा नहीं की है। आपको बता दें कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों का DA 50 फीसदी है। जुलाई से दिसंबर छमाही में इसमें एक बार फिर बढ़ोतरी होने जा रही है।