
जैसे-जैसे 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल समाप्त होने की ओर बढ़ रहा है, केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में 8वें वेतन आयोग को लेकर उत्साह बढ़ता जा रहा है। हाल ही में इससे जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है, जिसमें फिटमेंट फैक्टर और महंगाई भत्ता (DA) को लेकर संभावित बदलावों पर चर्चा की गई है। इन बदलावों से लाखों कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और पेंशन पर सीधा असर पड़ेगा।
क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर वह गणना प्रणाली है जिसका उपयोग वेतन आयोग द्वारा कर्मचारियों के वर्तमान वेतन को नए वेतन ढांचे में समायोजित करने के लिए किया जाता है।
- यह महंगाई और जीवन-यापन की लागत को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।
- फिटमेंट फैक्टर के जरिए ही न्यूनतम मूल वेतन निर्धारित किया जाता है और उसी के आधार पर आगे की सैलरी संरचना बनती है।
8वें वेतन आयोग में हो सकते हैं दो बड़े बदलाव
1. फिटमेंट फैक्टर में संभावित बढ़ोतरी
- वर्तमान में 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 है, जिसके चलते न्यूनतम वेतन ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 किया गया था।
- अब 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 या उससे अधिक होने की संभावना जताई जा रही है।
- अगर ऐसा होता है, तो न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 तक हो सकता है।
- इससे न सिर्फ बेसिक सैलरी में इजाफा होगा, बल्कि महंगाई भत्ता और अन्य भत्तों में भी वृद्धि होगी।
2. DA (महंगाई भत्ता) की भूमिका में बदलाव
- DA यानी Dearness Allowance वेतन में उस समय के महंगाई स्तर को संतुलित करने के लिए दिया जाता है।
- यह मूल वेतन का एक प्रतिशत होता है, जो सरकार हर 6 महीने में रिवाइज करती है।
- 7वें वेतन आयोग के लागू होने से पहले DA 125% तक पहुंच गया था, जिसे नए मूल वेतन में मर्ज कर दिया गया था।
- ऐसा ही बदलाव 8वें वेतन आयोग में भी होने की संभावना है, यानी नया मूल वेतन पुराने वेतन और DA को मिलाकर तय किया जाएगा।
DA के बाद कैसे तय होता है नया वेतन?
- वेतन संशोधन के समय पुराना मूल वेतन और मौजूदा DA को जोड़कर एक बेसिक आंकड़ा तय किया जाता है।
- इस बेस पर नया फिटमेंट फैक्टर लागू किया जाता है।
- जब नया वेतन आयोग लागू होता है, तो DA को शून्य से शुरू किया जाता है, क्योंकि उसे पहले ही मूल वेतन में जोड़ा जा चुका होता है।