7वां वेतन आयोग: केंद्र सरकार को पेंशनभोगियों के लिए पेंशन बहाली की अवधि को मौजूदा 15 साल से घटाकर 12 साल करने का प्रस्ताव मिला है। पिछले कई सालों से केंद्रीय कर्मचारी यूनियनों और अन्य सलाहकार निकायों द्वारा यह मांग उठाई जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाल ही में मिले एक पत्र में संयुक्त सलाहकार मशीनरी (जेसीएम) की राष्ट्रीय परिषद (कर्मचारी पक्ष) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों से संबंधित लंबित मामलों को कवर करते हुए 14 मांगें रखी हैं। इनमें से एक मांग यह है कि पेंशन बहाली की अवधि को 15 साल से घटाकर 12 साल किया जाए।
नेशनल काउंसिल जेसीएम केंद्रीय कर्मचारियों का सर्वोच्च सलाहकार मंच है, जिसके अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होते हैं। पत्र में कहा गया है कि नेशनल काउंसिल (जेसीएम) के कर्मचारी पक्ष के सचिव के रूप में, यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपका ध्यान कुछ प्रमुख मुद्दों की ओर आकर्षित करूं जो केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के मन में हैं। इस साल की शुरुआत में अप्रैल में अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने भी सरकार को पत्र लिखकर इस मामले पर तत्काल कार्रवाई की मांग की थी।
रिटायरमेंट के समय केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पास अपनी पेंशन के एक हिस्से को, जो 40% से ज़्यादा नहीं हो सकता, एकमुश्त भुगतान में बदलने का विकल्प होता है। एकमुश्त राशि की गणना गणना के अनुसार की जाती है। पेंशनभोगी की मासिक पेंशन में से शेष राशि को घटा दिया जाता है और यह शेष राशि 15 साल बाद बहाल कर दी जाती है। अगर रिटायरमेंट के एक साल के भीतर पेंशन कम्यूटेशन का विकल्प चुनता है, तो उसे किसी मेडिकल जांच से नहीं गुजरना पड़ता है। लेकिन अगर एक साल बाद इस सुविधा का लाभ उठाया जाता है, तो उसे मेडिकल जांच से गुजरना होगा।