कल्कि धाम में आचार्य प्रमोद कृष्णम का 60वां जन्मोत्सव: सनातन धर्म पर मंथन और पुनर्जीवन की पहल

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कल्कि धाम ऐचोड़ा कंबोह में शनिवार को संभल और सनातन धर्म के महत्व पर चर्चा और चिंतन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम के 60वें जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित हुआ। इस दौरान संत महात्माओं और विद्वानों ने सनातन धर्म की गहराई और इसके महत्व पर विस्तार से विचार व्यक्त किए।

सनातन धर्म की सुरक्षा और पुनर्जीवन पर चर्चा

कार्यक्रम में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा:
“सनातन धर्म को इतिहास में कई बार कुचला गया है। आज इसे पुनर्जीवित करने और इसके महत्व को समझाने के लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। भारत न औवैसी का है, न बाबर या तैमूर का। यह सनातन धर्म का देश है, जहां मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं।”

उन्होंने मौजूदा सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार प्राचीन मंदिरों की पहचान कर उन्हें पुनर्जीवित करने का काम कर रही है।

महायज्ञ और श्री कल्कि भगवान के मंदिर का निर्माण

  • कार्यक्रम की शुरुआत विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ महायज्ञ से हुई।
  • यज्ञ में आचार्य प्रमोद कृष्णम की लंबी आयु, देश की सुख-शांति और सनातन धर्म की रक्षा के लिए आहुतियां दी गईं।
  • श्री कल्कि भगवान के अवतार की चर्चा करते हुए आचार्य ने कहा:
    “श्री कल्कि भगवान संभल जिले की पवित्र भूमि पर जन्म लेंगे और सनातन धर्म की रक्षा करेंगे। इसके लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, जो भगवान के अवतार से पहले बन रहा है।”
  • मंदिर के साथ गुरुकुल विद्यालय, मेडिकल कॉलेज, और अन्य विकास कार्यों की योजना है।

विद्वानों और संतों के विचार

  1. अश्वनी त्यागी (सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता):
    • हिंदू मठों और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए।
    • देश में समान आचार संहिता लागू होनी चाहिए।
  2. रामदास तांडव:
    • जो लोग भय या अन्य कारणों से हिंदुत्व से अलग हो गए थे, उन्हें पुनः हिंदुत्व में वापस लाया जाना चाहिए।
  3. महंत बालयोगी दीनानाथ:
    • संभल के सभी 68 तीर्थों की पहचान कर उन्हें पुनर्जीवित करना चाहिए।
  4. स्वामी संपूर्णानंद महाराज:
    • संविधान के अनुच्छेद सनातन धर्म की मूल अवधारणाओं को पुष्ट करते हैं।

आचार्य प्रमोद कृष्णम के विचार

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने वक्फ बोर्ड और ओवैसी पर तीखे प्रहार किए:
“भारत की भूमि किसी बाबर, औरंगजेब या तैमूर की नहीं, बल्कि भारत के लोगों की है। वक्फ बोर्ड पर भी सवाल उठे हैं। कुछ लोग जागरूक हो गए हैं और बाकी भी जल्द जागरूक हो जाएंगे।”

उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी के अंदर कभी जिन्ना की आत्मा, तो कभी बाबर की रूह आ जाती है।
“हिंदुस्तान की बात करें, तालिबान या अफगानिस्तान की नहीं। भारत में जो कानून आता है, वह सभी धर्मों को मानना चाहिए।”

सनातन धर्म और विपक्षी नेताओं से अपील

आचार्य ने सनातन धर्म के महत्व पर जोर देते हुए कहा:
“सनातन धर्म की उत्पत्ति इस धरती पर हुई है। सभी धर्मों का सम्मान है, लेकिन सभी धर्म समान नहीं हैं। मैं विपक्षी नेताओं से निवेदन करता हूं कि वे ‘भारत माता की जय’ बोलना, ‘वंदे मातरम’ गाना, और वेदों को नमन करना शुरू करें।”

संभल का महत्व और इतिहास

  • संभल का उल्लेख पुराणों में है, जहां 68 तीर्थों का वर्णन है।
  • यह माना जाता है कि भगवान का अंतिम अवतार 24 कोस की परिधि में होगा।
  • संभल में मंदिरों के पुनर्निर्माण और सनातन धर्म के पुनर्जीवन के लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं।