एक साल में 6.29 लाख नए एमएसएमई गुजरात में रजिस्टर्ड हुए : ऋषिकेश पटेल

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अहमदाबाद, 31 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में राज्य में माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज (एमएसएमई) के बारे में चर्चा की गई। सरकार के प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि पिछले कई वर्षों के प्रयास से राज्य में एमएसएमई के क्षेत्र में व्यापक प्रगति हुई है। बड़ी संख्या में लोग इस क्षेत्र में जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एमएसएमई के मामले में गुजरात के दो जिले सूरत और अहमदाबाद देश के सबसे अधिक एमएसएमई वाले टॉप 10 शहरों में शामिल हैं।

प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान गुजरात में 6,29,103 नए एमएसएमई रजिस्टर्ड हुए हैं। 25 जुलाई, 2024 तक राज्य में 19,63,050 एमएसएमई रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इसमें 18,73,029 सूक्ष्म, 81,573 लघु और 8448 मध्यम उद्योग शामिल हैं। पटेल ने कहा कि गुजरात की गिनती समग्र देश में पॉलिसी ड्रिवन स्टेट के रूप में की जाती है। राज्य के उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत के प्रयासों से गुजरात में औद्योगिक विकास में कुलांचे भर रहा है। राज्य में इंडस्ट्री फ्रेंडली पॉलिसी की चर्चा करते हुए ऋषिकेश पटेल ने बताया कि आईएफपी पोर्टल पर सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम के जरिए विभिन्न विभागों की एक जगह ही मंजूरी मिलती है। राज्य में एमएसएमई के लिए कई प्रोत्साहक नीतियां लागू हैं जिससे उद्यमियों को कई तरह से सहायता प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि गुजरात में आत्मनिर्भर गुजरता स्कीम फॉर आसिस्टेंस टू एमएमएमई योजना, ब्याज सहायता, कैपिटल सहायता, सीजीटी सहायता आदि योजनाएं संचालित हैं, जो उद्यमियों को सहायता प्रदान करती है। राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की अच्छी स्थिति, सरल लेंड रूल्स, सीटीईपी, जीआईडीसी, रोड, पोर्ट समेत अन्य बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण इतनी बड़ी संख्या में एमएसएमई कार्यरत हैं। मंत्री ने बताया कि पिछले 4 साल में दर्ज हुए नए 19,63,050 के समाने 4861 इकाइयों का रजिस्ट्रेशन रद्द भी किए गए हैं। जो कि दर्ज हुए नए एमएसएमई की तुलना में महज 0.24 फीसदी हैं। प्रवक्ता मंत्री पटेल ने बताया कि मालिकों के बदलने, इकाई के बाइलॉज में बदलाव करने, प्रोपराइटरशीप में भागीदार फर्म या भागीदार फर्म में से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनने, एमएसएमई से बड़ी कंपनी बनने आदि कारणों से पुरानी इकाइयों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाता था।