भारत की 5 सांस्कृतिक विरासतें जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते

हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया की सभी विरासतों, इतिहास, कला और संस्कृति को बढ़ावा देना है। हमारा देश भारत इतिहास और कला साहित्य से भरा पड़ा है। यहाँ 42  यूनेस्को  विश्व धरोहर स्थल हैं। इस विश्व धरोहर दिवस पर हम आपको देश के कुछ ऐसे धरोहर स्थलों के बारे में बताएंगे, जहाँ आज तक बहुत कम पर्यटक पहुँच पाए हैं।

भारत के इन पांच धरोहर स्थलों को जरूर देखें

1. चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क, गुजरात

यह पुरातत्व पार्क गुजरात के पंचमहल पहाड़ों के पास मौजूद है जो  यूनेस्को की विश्व धरोहर  सूची में शामिल है। यहां आपको इतिहास और कला का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। इसके साथ ही यहां आपको हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला की झलक देखने को मिलेगी जिसका सबसे बेहतरीन उदाहरण यहां मौजूद जामा मस्जिद है। यह गुजरात की सबसे बड़ी मस्जिद है। यहां आप पावागढ़ की पहाड़ियों से वडोदरा का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं।

2. कोच्चि, एर्नाकुलम में मट्टनचेरी पैलेस

केरल के मट्टनचेरी पैलेस को  डच पैलेस भी कहा जाता है। यहाँ के घर केरल और यूरोप की वास्तुकला के अनुसार बनाए गए हैं। मट्टनचेरी के बाज़ार में आपको केरल के प्रामाणिक भोजन का स्वाद चखने का मौका मिलेगा, जिसमें अप्पम और मछली करी सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं।

3. शेख चिल्ली का मकबरा, हरियाणा

हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित शेख चिल्ली का यह मकबरा विश्व धरोहर का अहम हिस्सा है। यह मकबरा पारसी वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है। यहां हर धर्म के लोग प्रार्थना करने आते हैं। विश्व धरोहर का हिस्सा होने के कारण इस मकबरे का खास ख्याल रखा जाता है। यहां के स्थानीय बाजार में आपको घर की सजावट के लिए कई चीजें मिल जाएंगी।

4. पट्टाडाकल्लू, कर्नाटक

मालाप्रभा नदी के तट पर स्थित यह विश्व धरोहर स्थल चालुक्य साम्राज्य से संबंधित है। इसे रक्तपुर भी कहा जाता है, यह कर्नाटक के बागलकोट जिले में स्थित है। यह विभिन्न स्मारकों का एक समूह है जो अपने पुरातात्विक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के ऐतिहासिक स्मारकों में नौ हिंदू और एक जैन मंदिर हैं।

5. काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना

काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर तेलंगाना का विश्व धरोहर सूची में शामिल एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर एक तारे के आकार में बना एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण काकतीय राजा रुद्रदेव ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर में एक हजार खंभे हैं, इसलिए इसे हजार खंभों वाला मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसे बनाने में इस्तेमाल किए गए पत्थर पानी में नहीं डूबते।