विक्रम की दूसरी सॉफ्ट लैंडिंग: शिव शक्ति प्वाइंट से 40 सेमी की छलांग। चला गया

बेंगलुरु/मुंबई : हमारे विक्रम लैंडर ने आज 4 सितंबर, 2023 को सुबह 8:00 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक और सॉफ्ट लैंडिंग की है। हमारा हॉप टेस्ट (हॉप टेस्ट) सफल रहा है। दरअसल विक्रम लैंडर ने अपना काम सफलतापूर्वक और सुचारू रूप से किया है। हो गया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने आज सुखद जानकारी दी। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त 2023 को पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से उतर गया है। हमने विक्रम लैंडर के HOPE परीक्षण से पहले साइट (शिव शक्ति पॉइंट) की दोनों पृथ्वी छवियां और उसके बाद नए बिंदु की पृथ्वी छवि भी जारी की हैं। इसरो के सूत्रों ने बताया कि आज, 4 सितंबर, सोमवार सुबह 8:00 बजे हमने विक्रम लैंडर को स्लीपिंग मोड में डाल दिया है। विक्रम के सभी वैज्ञानिक उपकरण भी बंद कर दिए गए हैं। हालांकि, विक्रम लैंडर के रिसीवर काम करते रहेंगे।

विक्रम लैंडर अब अपने साथी प्रज्ञान रोवर के करीब आरामदायक नींद लेगा। अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 14 रातों का प्राकृतिक चक्र शुरू हो जाएगा। चारों ओर अंधेरा छा जाएगा। इसके साथ ही दक्षिणी ध्रुव पर तापमान चंद्रमा भी -(माइनस) 200 डिग्री सेल्सियस के असहनीय तापमान तक गिर जाएगा 14, रात्रि एवं शीतलता का चक्र 22 सितम्बर 2023 को समाप्त होगा। सूर्य की वृद्धि होगी। दोनों उपकरणों को सूर्य की किरणों से ऊर्जा मिलेगी। उम्मीद है कि विक्रम और प्रज्ञान दोनों जाग जाएंगे और अपना शोध कार्य शुरू कर देंगे। इसके अलावा, दोनों उपकरणों को 14 रातों तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अत्यधिक ठंड की स्थिति में जीवित रहने का भी ख्याल रखा गया है। 

इसरो के सूत्रों ने यह भी बताया कि जब विक्रम और प्रज्ञान दोनों 14 रातों की परिक्रमा के बाद फिर से जागेंगे, तो हम उनके उपकरणों को फिर से चालू कर देंगे। 

आशा है कि विक्रम लैंडर का परीक्षण सफल रहा है। हमने विक्रम लैंडर के इंजन चालू कर दिए और उसे आवश्यक कमांड दे दी ताकि विक्रम दक्षिणी ध्रुव के उद्गम स्थल शिव शक्ति बिंदु से 30-40 सेमी की दूरी पर फिर से सफलतापूर्वक जमीन पर उतर सके। चाँद की। विक्रम लैंडर को स्लिपिंग मोड में डालने से पहले उसके CHASTE (चेस्ट), रंभा-एपी, ILSA विज्ञान उपकरणों ने भी नए स्थान पर प्रदर्शन किया। साथ ही, विक्रम लैंडर द्वारा हासिल की गई सभी जानकारी हमारे लिए यहां पृथ्वी पर उपलब्ध है। साथ ही, विक्रम लैंडर के सभी उपकरण और छोटे प्रज्ञान रोवर के लिए निकास रैंप को उनकी मूल स्थिति में वापस रख दिया गया है।

विक्रम लैंडर का आज का सफल होप परीक्षण इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को भविष्य के चंद्रमा मिशनों के लिए प्रेरित करेगा। यानी भारत का भविष्य का चंद्र मिशन चंद्रमा की मिट्टी, पत्थर, चट्टानों के नमूने पृथ्वी पर लाने की सटीक तकनीक विकसित करने में सक्षम होगा। साथ ही, भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर उतारने की सटीक योजना बनाई जा सकेगी।