पनामा के एक होटल में 300 प्रवासी असमंजस और कठिनाइयों से घिरे हुए हैं। अमेरिका से निर्वासन की प्रक्रिया और अपने घर लौटने की अनिश्चितता के बीच, ये लोग तमाम परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इन प्रवासियों में सबसे अधिक संख्या भारतीयों की है, साथ ही नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के नागरिक भी शामिल हैं।
होटल में कैद प्रवासियों की दर्दनाक स्थिति
पनामा में ठहरे इन प्रवासियों की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। होटल से बाहर जाने की अनुमति नहीं मिलने के कारण वे पूरी तरह से वहां फंसे हुए हैं। हताशा और असहायता के चलते कुछ प्रवासियों ने खिड़कियों पर संदेश लिखकर मदद की गुहार लगाई है। होटल से सामने आई तस्वीरों में लोग सफेद कागजों पर “मदद करें” और “हम अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं” जैसे संदेश लिखकर खड़े नजर आ रहे हैं।
10 एशियाई देशों से आए प्रवासी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये 300 प्रवासी 10 विभिन्न एशियाई देशों से आए हैं। इनमें ईरान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के नागरिक शामिल हैं। अमेरिका के लिए इन देशों में सीधा निर्वासन करना संभव नहीं है, इसलिए पनामा को अस्थायी ठहराव के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
प्रवासियों को दी जा रही बुनियादी सुविधाएं
पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक एब्रेगो ने दावा किया है कि सभी प्रवासियों को चिकित्सा सुविधा और भोजन प्रदान किया जा रहा है। यह संपूर्ण व्यवस्था अमेरिका और पनामा के बीच हुए समझौते के तहत संचालित हो रही है, और इस अभियान का पूरा खर्च अमेरिका वहन कर रहा है।
पनामा के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो, जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पनामा नहर पर नियंत्रण को लेकर दी गई धमकियों के कारण राजनीतिक दबाव में हैं, ने हाल ही में पहली निर्वासन उड़ान के आगमन की घोषणा की थी।
अपने देशों को लौटने को तैयार प्रवासी
अब तक, 300 प्रवासियों में से 171 लोग अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सहायता से अपने-अपने देशों में लौटने को तैयार हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHRC) और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) शेष 128 प्रवासियों के लिए समाधान खोज रहे हैं ताकि वे किसी तीसरे देश में बस सकें।
जो प्रवासी अपने देश वापस जाने को तैयार नहीं हैं, उन्हें पनामा के दारिएन प्रांत में स्थित एक विशेष केंद्र में स्थानांतरित किया जाएगा।