2025: यूक्रेन का ऐतिहासिक कदम, रूस का गैस साम्राज्य ध्वस्त

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नए साल के पहले दिन, 2025 में यूक्रेन ने रूस को करारा झटका दिया है। यूक्रेन ने सोवियत युग से चली आ रही गैस पाइपलाइन ट्रांजिट व्यवस्था को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया, जिससे रूस का यूरोप में दशकों पुराना गैस साम्राज्य बिखर गया। इस कदम के चलते जहां रूस को सालाना 5 अरब डॉलर का भारी नुकसान उठाना पड़ा, वहीं यूक्रेन ने 800 मिलियन डॉलर का घाटा सहा।

रूस-यूक्रेन गैस सप्लाई बाधित

तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद यह पाइपलाइन यूरोप के लिए रूसी गैस की आपूर्ति करती रही थी। लेकिन 1 जनवरी 2025 की सुबह 5 बजे से गैस सप्लाई पूरी तरह रुक गई। यूक्रेन के इस निर्णय के बाद, रूस की सरकारी गैस कंपनी गैजप्रोम ने पुष्टि की कि यूरोपीय देशों में गैस ट्रांजिट बंद हो चुका है।

इससे सबसे ज्यादा असर रूस समर्थक क्षेत्र ट्रांसनिस्ट्रिया और मोल्दोवा में हुआ। ठंड के मौसम में यहां के घरों में हीटिंग और गर्म पानी की सप्लाई बाधित हो गई।

यूरोप तैयार था विकल्पों के साथ

यूक्रेन के इस कदम से अधिकांश यूरोपीय देशों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने पहले ही वैकल्पिक स्रोतों की तैयारी कर ली थी।

  • स्लोवाकिया, ऑस्ट्रिया और हंगरी को गैस अब तुर्कस्ट्रीम पाइपलाइन के जरिए मिल रही है, जो काला सागर के नीचे से होकर गुजरती है।
  • यूरोपीय संघ ने नॉर्वे से पाइपलाइन गैस और अमेरिका व कतर से एलएनजी खरीदकर रूसी ऊर्जा पर निर्भरता घटा दी थी।

यूरोपीय आयोग ने कहा, “हमने इस स्थिति के लिए पहले ही तैयारी कर रखी थी।”

यूक्रेन का बयान और रणनीति

यूक्रेन ने कहा कि उसका यह निर्णय यूरोपीय देशों द्वारा पहले ही रूसी गैस को छोड़ने के फैसले के मद्देनजर लिया गया है।
यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री जर्मन गैलुशेंको ने इस कदम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “रूस अपने बाजार खो रहा है और उसे बड़ा वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा।”

पृष्ठभूमि

  • 2022 में ट्रांजिट समझौता: युद्ध से पहले रूस और यूक्रेन ने तीन साल के ट्रांजिट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे।
  • युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने गैस की कीमतें बढ़ा दीं, जिससे यूरोपीय देशों पर आर्थिक दबाव बढ़ा।
  • बाद में यूरोपीय संघ ने रूस पर निर्भरता कम करने के लिए ऊर्जा आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत तलाश लिए।