यूक्रेनी ब्रिगेड के 1700 सैनिक युद्ध से पहले ही भागे, राष्ट्रपति जेलेंस्की पर उठे सवाल

Ukraine Russia Conflict War Dese

रूस-यूक्रेन युद्ध को लगभग तीन साल हो चुके हैं और दोनों देशों के सैनिकों के लिए यह संघर्ष बेहद थका देने वाला साबित हुआ है। यूक्रेन ने अपनी सेना के सैनिकों की बेहतर और जल्दी ट्रेनिंग के लिए उन्हें विभिन्न पश्चिमी देशों में भेजा है। हालांकि, हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि यूक्रेन की एक हाई प्रोफाइल ब्रिगेड (जिसे राष्ट्रपति जेलेंस्की के निर्देश पर बनाया गया था) के 1700 सैनिक फ्रंट लाइन पर पहुंचने से पहले ही युद्ध से भाग खड़े हुए हैं। यह स्थिति यूक्रेन के लिए और भी मुश्किल हो गई है, क्योंकि उसकी सेना कई मोर्चों पर लगातार संघर्ष कर रही है।

डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन की 155वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड के 5800 सैनिकों में से 1700 सैनिक युद्ध से भाग गए। इन सैनिकों को फ्रांस की सेना ने पश्चिमी यूक्रेन, फ्रांस और पोलैंड में ट्रेनिंग दी थी। इस बटालियन के पास पश्चिमी देशों के विशिष्ट हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग भी थी। यह ब्रिगेड राष्ट्रपति जेलेंस्की के फ्रांस से विशिष्ट अनुरोध के बाद फ्रांसीसी सेना के साथ ट्रेनिंग लेने के लिए भेजी गई थी, ताकि यह नई ट्रेनिंग के साथ रूसी सेना को हराने में सहायक हो सके।

रिपोर्ट के मुताबिक, सैनिकों के गायब होने का सिलसिला फ्रांस से ही शुरू हुआ था। ट्रेनिंग के दौरान 50 सैनिक पहले ही बिना एक भी गोली चलाए वहां से भाग गए। यह सिर्फ शुरुआत थी। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, जब इस ब्रिगेड को रणनीतिक रसद रास्ते की सुरक्षा में तैनात किया गया, तब तक इसके 1700 सैनिक युद्ध में भाग लेने से पहले ही वहां से भाग चुके थे। इसका मतलब यह था कि इस बटालियन के लगभग एक तिहाई सैनिकों ने युद्ध में शामिल होने से पहले ही यह तय कर लिया था कि वे युद्ध में भाग नहीं लेंगे।

अब इस ब्रिगेड की नाकामी के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की पर सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि पहले से ही बटालियन मौजूद थी, तो एक नई बटालियन बनाने की आवश्यकता क्यों थी। वे यह भी कहते हैं कि पुराने सैनिकों को ट्रेनिंग देकर उन्हें युद्ध के लिए भेजा जा सकता था।

यूक्रेनी मीडिया ने इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “यह सच में एक अपराध है। यह सैनिकों या उनके अधिकारियों का अपराध नहीं है, बल्कि यह कमांडर इन चीफ, रक्षा मंत्रालय और नेताओं का अपराध है। इन्होंने लोगों का जीवन और पैसा बर्बाद किया है। पहले से मौजूद बटालियन को मजबूत करने की बजाय नई बटालियन बनाने की क्या आवश्यकता थी?”