भारत सरकार ने चीन सीमा के पास 1400 किलोमीटर लंबे हाईवे के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जिससे सीमावर्ती इलाकों की कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार होगा। 42,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह हाईवे अरुणाचल प्रदेश के 12 जिलों से होकर गुजरेगा और रणनीतिक रूप से भारत के लिए बेहद अहम साबित होगा।
सरकार ने 10 वर्षों में मुकदमों पर खर्च किए 400 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय अभियोग नीति पर काम जारी
रिजिजू ने किया हाईवे का ऐलान
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश के कामले जिले में आयोजित न्योकुम योलो मेले के दौरान इस बड़े प्रोजेक्ट की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह हाईवे चीन सीमा के बेहद करीब होगा और इसे बनाना भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा।
रणनीतिक महत्व और सरकार की बड़ी योजना
- यह हाईवे अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट कामेंग, बिशोम, अपर सुबानसिरी, शी-योमी, अनजॉ और चांगलांग जैसे संवेदनशील जिलों से होकर गुजरेगा।
- कई स्थानों पर यह चीन सीमा से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर होगा।
- यह प्रोजेक्ट पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा और विकास के लिए गेमचेंजर साबित होगा।
उपराष्ट्रपति ने की घोषणा की सराहना
इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि यह किरेन रिजिजू का सपना था और अब यह सपना हकीकत बनने जा रहा है।
भारत के इस फैसले को चीन के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र पर चीन बार-बार दावा करता रहा है। अब इस हाईवे के निर्माण से भारत की सीमाओं की सुरक्षा और बुनियादी ढांचे को और मजबूती मिलेगी।