Kala Bhairava: महादेव के रुद्र अवतार की पौराणिक कथा और उनका महत्व
News India Live, Digital Desk: Kala Bhairava: काल भैरव भगवान शिव का एक अत्यंत रौद्र और शक्तिशाली अवतार हैं, जिन्हें तंत्र-मंत्र और आध्यात्मिक साधनाओं में विशेष रूप से पूजा जाता है। वह भगवान शिव के क्रोध और विध्वंसक रूप का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन अपने भक्तों के लिए वह अत्यंत दयालु और रक्षक माने जाते हैं।
पौराणिक कथा:
पुराणों के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश शिव के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। ब्रह्मा जी ने अपने पाँचवें मुख से भगवान शिव के लिए कुछ अपमानजनक शब्द कहे, जिससे शिव को अत्यंत क्रोध आ गया। शिव के इस क्रोध से उनके भौंहों के बीच से एक भयंकर स्वरूप उत्पन्न हुआ, जिसका नाम था 'काल भैरव'।
काल भैरव अत्यंत भयानक रूप वाले थे – उनके हाथों में एक त्रिशूल, कपाल, तलवार और पाश था, वे भस्म से ढके थे और उनका रूप भयानक था। उनके शरीर से अग्नि निकल रही थी। क्रोधित काल भैरव ने तत्काल ब्रह्मा जी के उस मुख को काट डाला, जिससे उन्होंने शिव का अपमान किया था।
यह कृत्य ब्रह्महत्या के पाप के समान था, इसलिए काल भैरव के हाथ में कटा हुआ ब्रह्मा का सिर (ब्रह्म कपाल) चिपक गया और वे इस पाप के कारण भटकने लगे। उन्होंने कई स्थानों पर भ्रमण किया, लेकिन कपाल उनसे अलग नहीं हुआ। अंततः, जब वे वाराणसी काशी पहुंचे, तब वहां पहुंचने पर ब्रह्म कपाल उनके हाथ से अलग हो गया और वे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो गए। इसलिए, काशी में काल भैरव को 'काशी के कोतवाल' (काशी का रक्षक) के रूप में पूजा जाता है। उन्हें दंडपाणि (दंड देने वाला) भी कहा जाता है, जो पापियों को दंड देते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
इस कथा के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि अहंकार और अनादर का परिणाम हमेशा विनाशकारी होता है। काल भैरव की पूजा मुख्य रूप से बाधाओं को दूर करने, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और बुरी शक्तियों से रक्षा के लिए की जाती है। भैरव अष्टमी पर विशेष रूप से उनकी आराधना की जाती है ताकि वे भक्तों को भय से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करें।
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