शपथ ग्रहण के लिए मांगी थी 7 दिन की मोहलत, अमृतपाल सिंह को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका
News India Live, Digital Desk: खडूर साहिब लोकसभा सीट से सांसद चुने गए 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह की जेल से बाहर आने की उम्मीदों को आज देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी तोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अमृतपाल सिंह की उस याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए 7 दिनों की अस्थायी रिहाई की मांग की थी।
फिलहाल, अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। उन्होंने जेल में रहते हुए ही खडूर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया सुनवाई से इनकार?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की वेकेशन बेंच के सामने जब अमृतपाल के वकील ने यह मामला रखा, तो बेंच ने इस पर विचार करने से मना कर दिया। कोर्ट का रुख बिल्कुल साफ़ था। उन्होंने अमृतपाल के वकील से कहा, "यह कोई ऐसा मामला नहीं है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को सीधे दखल देने की ज़रूरत हो।"
कोर्ट ने उन्हें सही प्रक्रिया का पालन करने की सलाह देते हुए कहा कि उन्हें अपनी मांग के लिए पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि अगर हाईकोर्ट उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई नहीं करता है, तो वे दोबारा सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं।
क्या थी अमृतपाल की याचिका?
अमृतपाल सिंह की तरफ से उनकी पत्नी किरणदीप कौर ने यह याचिका दायर की थी। इसमें मांग की गई थी कि अमृतपाल को नवनिर्वाचित सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए डिब्रूगढ़ जेल से 7 दिनों की अस्थायी ज़मानत पर रिहा किया जाए, ताकि वह संसद में जाकर अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी पूरी कर सकें। अमृतपाल के वकील का तर्क था कि शपथ लेना उनका संवैधानिक अधिकार और कर्त्तव्य है।
अब आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद अब अमृतपाल सिंह के पास एकमात्र रास्ता पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट जाने का बचा है। अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट उनकी इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है। जब तक किसी अदालत से उन्हें ज़मानत नहीं मिल जाती, तब तक अमृतपाल सिंह को डिब्रूगढ़ जेल में ही रहना होगा और वह सांसद पद की शपथ भी नहीं ले पाएँगे। इस फैसले ने अमृतपाल और उनके समर्थकों को बड़ा झटका दिया है।
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