
हरी मूंग की दाल को शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का खजाना माना जाता है। इसका नियमित सेवन शरीर में प्रोटीन की कमी को दूर करता है और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए लाभकारी होता है। आयुर्वेद के अनुसार, हरी मूंग की दाल में मौजूद पोषक तत्व न केवल शारीरिक विकास में मदद करते हैं, बल्कि पाचन तंत्र और हृदय स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाते हैं।
नॉनवेज से भी ज्यादा प्रोटीन
पंजाब स्थित बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी के अनुसार, हरी मूंग की दाल में चिकन और मटन से भी ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है। वे सलाह देते हैं कि इस दाल का सेवन सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार अवश्य करना चाहिए।
मांसपेशियों और हड्डियों के लिए लाभकारी
डॉ. तिवारी बताते हैं कि मूंग दाल में प्रोटीन के साथ-साथ फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन बी, बी6, फोलेट, कॉपर, जिंक और पोटैशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इनकी मदद से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और हड्डियों को भी पोषण मिलता है।
टिशू की मरम्मत और बेहतर पाचन
हरी मूंग की दाल में मौजूद फाइबर न केवल पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है, बल्कि यह टिशू की मरम्मत में भी सहायक होता है।
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अगर किसी को कब्ज की समस्या है, तो यह दाल प्राकृतिक इलाज के रूप में काम करती है।
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इसका पाचन आसान होता है, जबकि मांसाहारी भोजन जैसे चिकन-मटन को पचने में अधिक समय लगता है।
कोलेस्ट्रॉल और हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
हरी मूंग की दाल में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और दिल की सेहत को सुधारते हैं।
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यह दाल रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ने से रोकती है और हृदय रोगों के जोखिम को कम करती है।
कैसे करें सेवन
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आप हरी मूंग दाल को नाश्ते में खिचड़ी या चिल्ला के रूप में ले सकते हैं।
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दोपहर या रात के खाने में सामान्य दाल की तरह पकाकर भी खाई जा सकती है।
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इसे अंकुरित करके सलाद में भी शामिल किया जा सकता है।
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